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उत्तराखण्ड में आम आदमी पार्टी को दमदार नेतृत्व की तलाश। टैब कर पढ़े

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*  चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के गढ़ों में सेंध लगाने के लिए अभी नेतृत्व से लेकर पूरी कार्यकारिणी और एक दमदार टीम की जरूरत पार्टी को है। 

( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )   
देहरादून।
उत्तराखण्ड में आम आदमी पार्टी को एक दमदार नेतृत्व की तलाश है। दिल्ली में प्रचण्ड जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने पिछले आम चुनाव में उत्तराखण्ड का रूख तो किया लेकिन कोई खाता नहीं खुलने से पार्टी को मुहं की खानी पड़ी थी। अब एक बार फिर से आम आदमी पार्टी ने उत्तराखण्ड में राजनीतिक जमीन तलाशनी शुरू कर दी है। जिसके लिए लोगों में अच्छी पकड़ रखने वाले स्थानीय नेता की तलाश पार्टी को है।


दिल्ली में सरकार बनने के बाद से पार्टी संस्थापक व दिल्ली के मुख्यमंत्री के हौसले बुलंद थे। दिल्ली में मिली एकतरफा जीत ने उत्तराखण्ड में भी पार्टी के सदस्यों को राज्य में सत्ता का ख्वाब देखने के लिए मजबूर कर दिया। पार्टी के जो भी सदस्य प्रदेश में थे उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी लेकिन चुनाव में सफलता नहीं मिली। उत्तराखण्ड में बारी-बारी से कांग्रेस और भाजपा सत्ता पर काबिज रहती हैं और इसके अलावा किसी और पार्टी का विकल्प जनता के पास नहीं है। यहां तक कि राज्य प्राप्ति आंदोलन में सक्रिय रहे उत्तराखण्ड क्रांति दल को ही यहां के लोगों ने कोई तवज्जो नहीं दी क्योंकि दल के पास नेतृत्व तो था लेकिन चुनाव में जीतने के बाद सरकार के साथ हाथ मिलाने में अपनी भलाई देखने वालों ने दल को कहीं का नहीं छोड़ा। दल से जीतने वाले जनप्रतिनिधियों की संख्या भी हर चुनाव में कम होती गयी और अब दल के पास चुनाव लड़ने के लिए लोग भी नहीं बचे हैं।


वहीं समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी के साथ ही वामपंथी दल भी चुनाव के समय सर उठाते हैं और उसके बाद गायब हो जाते हैं। अब ऐसे ही चुनावी बेला में आम आदमी पार्टी भी सक्रिय हुई है लेकिन फर्क इतना है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भाजपा विधायक से जुड़े दुष्कर्म प्रकरण और विधायक चैंपियन की भाजपा में वापसी का मुद्दा उठाया और लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। आम आदमी पार्टी लगातार सरकार पर हमलावर है। हालांकि अब तक पार्टी के पूर्व अध्यक्ष, प्रवक्ता और कार्यकर्ता अपने-अपने स्तर पर बयान जारी करने में जुटे हुए हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और एक मंच पर लाने के लिए नेतृत्व की कमी पार्टी में दिखाई दे रही है। सूत्रों की मानें तो जब तक आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड में स्थानीय नेता को पार्टी का नेतृत्व नहीं सौंप देती है तब तक पार्टी को जनाधार बनाने के लिए भारी मशक्कत करनी होगी। चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के गढ़ों में सेंध लगाने के लिए अभी नेतृत्व से लेकर पूरी कार्यकारिणी और एक दमदार टीम की जरूरत पार्टी को है। हालांकि अब तक पार्टी के नेता एक मंच पर कम ही दिखाई दिए हैं। पार्टी के नेता अपने-अपने स्तर पर प्रदेशभर में लोगों को पार्टी से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं।


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