( ज्ञान प्रकाश पाण्डेय )
देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा के 2022 के चुनाव सभी पार्टिया अपनी – अपनी तैयारियों में लग चुकी है। भाजपा सहित कांग्रेस सभी चुनाव को लेकर मैदान में सक्रीय है। इस बीच कांग्रेस से भी पहले विपक्ष के मुद्दों को लेकर ऍम लोगो सहित मीडिया और राजनैतिक विश्लेषकों का ध्यान खींचा है तो वह है आम आदमी पार्टी ने ! चाहे वह बीजेपी विधायक महेश नेगी यौन शोषण को लेकर कांग्रेस की ख़ामोशी पर राजनीतिक पंडित सवाल उठा रहे थे, तो आम आदमी पार्टी ने यह मुद्दा लपक लिया और बीजेपी के ख़िलाफ़ जोरदार प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं प्रणव चैम्पियन के मामले को भी सबसे पहले आप ने ही लपका। इस बीच मैदान से लेकर पहाड़ तक अब यह चर्चा तो होने लगी है कि क्या आप इन चुनावों में तीसरी शक्ति बनकर उभरेगी ? लेकिन इसके साथ ही आप को यह भी नज़र आने लगा है कि पहाड़ के चेहरों को आगे किए बिना अच्छे से अच्छी रणनीति भी उसे रेस में नहीं ला सकती।
चाहिए पहाड़ की रणनीति !
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी यूथ को जोड़ने के साथ ही नई कार्यकारिणी में पहाड़ी चेहरों को जोड़ने की मशक्कत कर रही है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी और अध्यक्ष एसएस कलेर मानते हैं नई कार्यकारणी में तवज्जो उन्ही चेहरों को दी जाएगी जो पहाड़ के होंगे। वह यह भी कहते हैं कि पहाड़ की रीढ़ कही जाने महिलाएं पार्टी में फ्रंट फुट पर दिख सकती हैं। अब पार्टी में कवायद यह चल रही है कि यह होगा कैसे ?
उत्तराखंड की राजनीति पर नज़र रखने वाले मानते हैं कि आम आदमी पार्टी के पास राज्य में तीसरा विकल्प बनने की काफ़ी संभावनाएं हैं। उत्तराखण्ड प्रेस क्लब के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार विश्वजीत सिंह नेगी कहते हैं कि इसके लिए आप को नई रणनीति बनानी होगी। उसे दिल्ली की तर्ज पर नहीं उत्तराखंड की पृष्ठभूमि और पहाड़ी वोट बैंक को ध्यान में रखकर ही चुनाव लड़ना होगा। इसके लिए उत्तराखंड के चेहरों को जोड़ना ज़रूरी है। उत्तराखंड में तीसरी पार्टी या तीसरे विकल्प के लिए गुंजाइश तो है लेकिन इसे खड़ा करना आसान नहीं है। आम आदमी पार्टी ने संभावनाएं तो दिखाई हैं लेकिन इनमें कितना दम है यह पार्टी की नई कार्यकरिणी से ही साफ़ होगा। इसी से यह पता चलेगा कि आम आदमी पार्टी का उत्तराखंड का रोडमैप है क्या ?