* मुख्यमंत्री ने संतों को आश्वस्त किया कि प्रयागराज की तरह ही उन्हें यहां भी समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, कुंभ के सभी कार्य समय पर होंगे।
(ब्यूरो,न्यूज 1 हिन्दुस्तान)
हरिद्वार। कुंभ मेले को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के साथ अखाड़ा परिषद की बैठक में संतों का गुस्सा फूटा । संत मेला कार्यों की धीमी गति के कारण नाराज थे। उन्होंने प्रदेश सरकार और अफसरों पर संतों संघ बेरुखी के बर्ताव का आरोप लगाया ।इतना ही नहीं कुंभ मेले के बहिष्कार की दी चेतावनी भी दे डाली थी। इससे बौखलाए अफसर संतों की मान मनौवल में जुट गए ।
मुख्यमंत्री ने संतों को आश्वस्त किया कि प्रयागराज की तरह ही उन्हें यहां भी समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, कुंभ के सभी कार्य समय पर होंगे।
बैठकों से बार-बार आश्वासन का झुनझुना लेकर लौट रहे संतों ने रविवार को दिनभर अलग-अलग बैठक कर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई। शाम करीब 5:00 बजे CM जब मेला नियंत्रण कक्ष पहुंचे तो अचानक अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी और महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज सहित परिषद के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के फोन बंद थे। करीब 40 मिनट तक मुख्यमंत्री मेला अधिकारी के कार्यालय में संतों के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन संत नहीं आए। उनकी नाराजगी भापकर मेला प्रशासन के अधिकारी और सरकार की रणनीतिकार सक्रिय हुए। अखाड़ों से संबंध स्थापित करने के लिए उन्होंने संकट मोचन के रूप में अपर मेलाधिकारी हरवीर सिंह को इस्तेमाल किया।
जैसे ही संतो के फोन क्या बन्द हुए चर्चाओं को बल मिलना शुरू हो गया कि संत बैठक का बहिष्कार कर रहे है।इसकी आशंका अधिकारियों को पहले से ही थी।शायद इसीलिए अधिकारियों ने अपने सकंठ मोचन को पहले से ही सक्रिय कर रखा था।आपको बता दे कि अपर मेलाधिकारी सरदार हरवीर सिंह CM के साथ संतो की बैठक को लेकर विभिन्न अखाड़ों के प्रतिनिधियों से अलग अलग मिल चुके थे।
बैकफुट पर आए अधिकारियों के संकठ मोचन की भूमिका निभाते हुए अपर मेलाधिकारी हरवीर सिंह आनन-फानन में निरंजनी अखाड़े पहुंचकर संतों से आग्रह ,अनुनय विनय किया। तब कहीं जाकर संत बैठक में पहुंचे।
संतो का गुस्सा शांत होने के बाद जैसे ही संत मेला सभागार में पहुंचे ही थे कि उनके गुस्से में फिर अंगड़ाई ली।इस बार की अंगड़ाई सभागार में रखी एक बड़ी कुर्सी के कारण थी।जो की CM ke लिए थी। इस पर संतो ने नाराजगी जताई और कुर्सी हटाई गई।
आपको बता दे कि संकट मोचन के रूप में पहले भी अपर मेलाधिकारी हरवीर सिंह कुंभ 2010 में उप मेलाधिकारी के रूप में अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन कर चुके हैं।