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कोरोना को लेकर अपनी गंभीरता व संवेदनशीलता के बीच संसद का शीतकालीन सत्र का स्थगित होना और शैक्षिणक संस्थानों का संचालन का निर्णय। आखिर क्यों ? टैब कर पढ़े   

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* बढ़ते कोरोना संक्रमण में सरकार का शिक्षण संस्थानों के संचालन का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण – कुँवर दुर्गेश प्रताप 
( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार ।
एक तरफ सरकार कोरोना को लेकर अपनी गंभीरता व संवेदनशीलता का प्रचार प्रसार जोरों पर कर रही है वहीं दूसरी तरफ विश्वविद्यालय से लेकर महाविद्यालयों तक एवं  कक्षा 10वीं व 12वीं के शैक्षणिक कार्यों के संचालन का कराने का निर्णय लेकर अपनी असंवेदनशीलता को प्रदर्शित कर दी । इस तरह का सरकारी फरमान राष्ट्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण संकेत है । उक्त बातें समाजवादी पार्टी उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता , प्रभारी नैनिताल लोकसभा कुँवर दुर्गेश प्रताप सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहे ।


कुँवर दुर्गेश ने कहा कि बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए देश की सर्वोच्च संस्था भारतीय संसद का शीतकालीन सत्र सांसदों के जीवन की सुरक्षा को देखते हुए स्थगित कर दिया गया पर छात्रों के जीवन का कोई मोल सरकार की नज़रों में नहीं है । हर दिन मीडिया के माध्यम से यह खबर मिल रही है कि कोरोना एक बार पुनः अपने पैर पसार रहा है , उत्तराखंड में हर एक दिन कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है । अबतक लगभग 71 हजार से ज्यादा लोग उत्तराखंड में कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और लगभग 1150 से ज्यादा लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है । विगत 15 दिनों का जो आंकड़ा कहता है कि उत्तराखंड में लगभग 7 हजार से ज्यादा लोग बढ़ते संक्रमण से प्रभावित हो चुके हैं , ऐसे में विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में परीक्षाओं की प्रक्रिया चल रही हैं , वहीं दूसरी तरफ कक्षा 10वीं व 12वीं शैक्षणिक कार्य संचालित किए जा रहे हैं । जब कि मीडिया के माध्यम से यह भी पता चल रहा है कि छात्रों की उपस्थिति 30 फीसदी से ज्यादा नहीं हो पा रही है । गाइडलाइन में यह भी कहा गया कि अभिभावकों के अनुमति के बिना कोई छात्र स्कूल नहीं आएगा तो अभिभावकों ने तो स्पष्ट रूप से स्कूल ना खोलने व बच्चों को ना भेजने का अपना निर्णय दे दिया था फिर भी सरकार अपनी जिद्द व हठधर्मिता पर ही कार्य कर रहीं है जो अत्यंत दुर्भग्यपूर्ण है ।
कुँवर दुर्गेश ने कहा कि समाजवादी पार्टी समाज के हर वर्ग के सुरक्षा को देखते हुए व छात्रों के सुरक्षित जीवन के लिए सरकार से शिक्षण संस्थानों के संचालन पर रोक लगाने व ऑनलाइन कक्षाएं चलाने व ऑनलाइन परीक्षाएं कराने का निर्णय लेने की माँग करती है । 

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