( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
बागेश्वर / अल्मोड़ा / देहरादून। देश की आज़ादी के लिए जहां देश के महान सपूतो ने अपने जान गवा दिए ,अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले गुमनाम नायकों का जब जिक्र होगा, तो बिशनी देवी साह को जरूर याद किया जाएगा। अल्मोड़ा की रहने वालीं बिशनी देवी उत्तराखंड की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं। आजादी की लड़ाई में जेल जाने वालीं वह पहली महिला भी थीं। अब इस गुमनाम नायिका को पहचान दिलाने के लिए अल्मोड़ा के डाक विभाग ने एक पहल की है।
बिशनी देवी साह ने कई स्वतंत्रता आंदोलनों में अहम भूमिका निभाई थी। इसके बावजूद उन्हें वह पहचान नहीं मिली, जिसकी वह हकदार थीं। अब डाक विभाग ने बिशनी देवी को उनकी पहचान दिलाने के लिए लिफाफे में उनकी फोटो और उनका जीवन परिचय लिखा है, जिससे उनको सही पहचान मिल सके। बिशनी देवी का जन्म12 अक्टूबर, 1902 को बागेश्वर में हुआ था। 13 साल की उम्र में अल्मोड़ा निवासी शख्स से उनकी शादी हो गई थी। जब वह 16 साल की थीं, तो उनके पति का निधन हो गया था। जिसके बाद मायके और ससुराल वालों ने उन्हें ठुकरा दिया था।
कुमाऊं के अल्मोड़ा में पहली बार बिशनी देवी ने ही तिरंगा फहराया था। आजादी की लड़ाई में वह जेल भी गईं, 73 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई थी।