( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड में चुनाव से पहले दलबदल सम्बन्धी अटकलों और उत्तराखंड भाजपा में जारी अंदरूनी कलह के लिहाज से अचानक CM पुष्कर सिंह धामी की ‘ब्रेकफास्ट डिप्लोमेसी ‘चर्चा में आ गई है। शनिवार सुबह – सुबह अपने मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगी यशपाल आर्य के घर अनायास पहुंच गए धामी ने आर्य के साथ नाश्ता करते हुए अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार साझा किए। बताया जाता है कि धामी की यह ‘ब्रेकफास्ट डिप्लोमेसी’ कांग्रेस सूत्रों की उन अटकलबाजियों के परिप्रेक्ष्य में शुरू हुई, जिसमें कहा गया था कि आर्य अपने विधायक पुत्र के साथ ‘घर वापसी’ कर सकते हैं अर्थात वह अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
राज्य में दलितों का मुख्य चेहरा रहे यशपाल आर्य छह साल पहले उस वक्त भाजपा में शामिल हो गए थे, जब कांग्रेस ने उनके बेटे को चुनावी मैदान में उतारने से इनकार कर दिया था। इस मुलाकात के बाद आर्य से जब पूछा गया कि क्या वह कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा, “नेताओं के पाला बदलने में कुछ नया नहीं है। दलित राज्य (चुनाव) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं। ” इधर, सीएम धामी ने बैठक के बारे में सिर्फ इतना कहा कि आर्य के साथ उनकी शिष्टाचार मुलाकात थी “क्योंकि वह आर्य पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं। ”
बीजेपी के लिए आगे अब क्या है?
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने हैं। सत्तारूढ़ भाजपा को 2017 में 70 सदस्यीय विधानसभा में 57 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत मिला था। हालांकि, एक मज़बूत जनादेश के बावजूद, पार्टी के भीतर तकरार और शासन के मुद्दों को लेकर भाजपा को इस साल मार्च से अब तक दो बार मुख्यमंत्री बदलने को मजबूर होना पड़ा। हालांकि लगातार दूसरी बार सत्ता में आने का दावा करने वाली भाजपा के लिए बड़ी जीत यह रही कि पिछले कुछ हफ्तों में एक निर्दलीय और एक कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हुए। अगर पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो दो और विधायक जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
कांग्रेस की स्थिति और रणनीति?
बलूनी के दावे पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने दावा कर दिया था कि आने वाले दिनों में भाजपा को अपने नेताओं के पाला बदलने का सामना करना पड़ सकता है। इधर, पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक बड़ा बयान तब दिया था, जब पंजाब में कांग्रेस ने दलित नेता चन्नी को सीएम बनाया था। रावत ने कहा था कि उत्तराखंड में भी कोई दलित अगर सीएम बने, तो उन्हें खुशी होगी। इसके बाद से ही उत्तराखंड के दलित नेता कांग्रेस की और कांग्रेस पार्टी दलित नेताओं की नज़र में है। इसी तारतम्य में सीएम धामी और यशपाल आर्य के बीच ‘ब्रेकफास्ट’ को अहम माना जा रहा है।