( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। Who द्वारा जारी हाल ही में कोरोना से देश और दुनिया में हुई मौतों का अकड़ा जारी किया गया है। जिसमे भारत में लगभग 47 लाख कोरोना से मौत बताया गया है। जिसको लेकर भारत में मौतों के आकड़ो को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। वही भारत ने Who के इन आकड़ों पर आपत्ति जताई है और सच्चाई से परे बताया है। भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक कोरोना के कारण अभी तक करीब 5 लाख लोगों की मौत हुई है। वहीं इस विवाद में अब आईसीएमआर के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने भी अपना पक्ष रखते हुए कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों की मौत पर सच्चाई बताते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं।
आईसीएमआर के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि भारत की आपत्तियों के बावजूद WHO ने पुरानी तकनीक और मॉडल के जरिए जुटाए गए मौत के आंकड़े जारी कर दिए हैं। भारत की चिंताओं पर सही तरीके से गौर नहीं किया गया है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) डीजी बलराम भार्गव ने कहा कि जब कोविड-19 महामारी के कारण मरीजों की मौतें शुरू में हो रही थीं, तब दुनियाभर की सरकारों और यहां तक कि WHO के पास भी कोरोना से होने वाली मौतों को लेकर कोई विशेष रूप से परिभाषित नहीं किया गया था। भार्गव ने उदाहरण देकर समझाते हुए कहा कि यदि कोई मरीज आज कोरोना पॉजिटिव हो जाता है और दो सप्ताह के बाद मौत हो जाता है तो क्या यह COVID-19 के कारण मृत्यु मानी जाएगी, या 2 महीने, 6 महीने के बाद मौत होगी तो क्या यह कोविड-19 की मृत्यु मानी जाएगी?
डॉ. भार्गव ने कहा कि हमने सभी डेटा को देखा और हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि COVID-19 पॉजिटिव होने के बाद हुई मौतों में से 95 फीसदी पहले 4 हफ्तों में हुई थी। इसलिए 30 की कट-ऑफ मृत्यु की परिभाषा के लिए दिन निर्धारित किए गए थे।
गौरतलब है कि WHO ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में कहा कि भारत में वर्ष 2020-21 में 47 लाख लोगों की मौत कोरोना महामारी के कारण हुई है। यह आंकड़ा केंद्र सरकार के आधिकारिक मरने वालों की संख्या से 10 गुना अधिक है और भारत को COVID-19 से दुनिया का तीसरा सबसे अधिक प्रभावित देश बनाता है।