( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
बागेश्वर। बागेश्वर के धमोली गावं में एक बारात के दौरान एक बढ़ा हादसा होने से टल गया। दरअसल बारातियों की ओर से हुई आतिशबाजी से ग्रामीणों के सूखे घास के 40 लुट्टे आग की भेंट चढ़ गए। इससे गुस्साएं कुछ ग्रामीणों ने आग बुझाने का अभियान चलाया तो कुछ ने बारातियों को बंधक बना लिया। काफी देर के बाद समझौता इस पर हुआ कि वर व वधू पक्ष ग्रमीणों को एक लाख रूपये देंगे, ताकि घास पत्ती के हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। दस हजार रुपए जमा कराने के बाद ग्रामीणों ने बारातियों को वापस जाने दिया।
अब स्थिति यह है कि दोनों ही पक्ष गरीब होने के कारण समझ नहीं पा रहे हैं कि एक सप्ताह के भीतर ग्रामीणों को 90 हजार रुपए का इंतजाम कैसे होगा? इसमें से बीस हजार रुपए वधू पक्ष देगा शेष 80 हजार का नुकसान वर पक्ष को भुगतना होगा। वर मोहन सिंह की गांव में ही एक छोटी सी दुकान है. उसके पिता घोड़ों पर लोगों का सामान व अन्य निर्माण सामग्री ढोने का काम करते हैं। उधर, वधू संगीता के पिता भी एक होटल में छोटी मोटी नौकरी करते हैं। आर्थिक रूप से वे भी सक्षम नहीं है। बेटी के विवाह के लिए उन्होंने पूरी जमा पूंजी एकत्रित करके व्यवस्थाएं कीं थी।
युवाओं का उत्साह पड़ गया महंगा
मंगलवार दोपहर बारात झूमते गाते दीवान सिंह के घर के लिए रवाना हुई थी। बारात में शामिल कुछ युवक उत्साह में आतिशबाजी कर रहे थे। पटाखे और राकेट चलाए जा रहे थे। दुल्हन के घर में बारात के स्वागत की तैयारियां चल रही थीं। अचानक गांव से कुछ पहले ग्रामीणों के खेत में रखे गए सूखे घास के ढेर में आग लग गई। आग धीरे—धीरे ऐसी फैली की एक दो नहीं पूरे चालीस लुट्टे देखते ही देखते भस्म होने लगे। फिर क्या था पूरा गांव वहां जुट गया और इस बिन बुलाई मुसीबत का सारा दोष बारातियों के माथे पर जा पड़ा। बारातियों ने उस वक्त राकेट चलाने की बात से इंकार किया तो ग्रामीणों में हाथा-पाई की नौबत भी आ गई।
लिखित में हुआ समझौता
ग्रामीणों ने फरमान सुना दिया कि जब तक उनके नुकसान का हर्जाना नहीं दिया जाएगा। एक भी बाराती वापस नहीं जाएगा। ऐसे में गांव के बड़े बुजुर्गों ने समझौते का रास्ता निकाला। किस ग्रामीण के कितने लुट्टे जले हैं यह जानकारी जुटाई गई। अनुमान लगाया गया कि एक लुट्टे में तकरीबन ढाई हजार कीमत की घास रही होगी। पता चला कि आग से 40 लुट्टे नष्ट हुए हैं। इस तरह कुल हुए नुकसान का आंकलन निकाला गया जो एक लाख रूपए बना। इसमें से दस हजार रुपए तुरंत जमा भी कर दिए गए. शेष 90 हजार रुपए एक सप्ताह में देने का वादा किया गया। दोनों पक्षों में लिखित समझौता हुआ। तब कहीं जाकर ग्रामीणों ने बारात का वापस जाने दिया। देर रात बारात वधू को लेकर गांव की सीमा से बाहर निकली तब कहीं जाकर वधू पक्ष व बारातियों ने राहत की सांस ली। वहीं अब दूल्हे पक्ष का कहना है कि या तो जली हुई घास के बदले घास दी जायेगी या फिर रुपए ही दिए जाएंगे। पुलिस के अनुसार इस मामले में अभी तक कोई भी तहरीर नहीं आई है।