( ज्ञान प्रकाश पाण्डेय )
देहरादून। उत्तराखण्ड में पुलिस महकमा इस समय राज्य के नेताओ ,विधायकों और मंत्रियों की मार झेल रहा है। इस तरफ रूटीन में होने वाले ट्रांसफर पोस्टिंग को उनके द्वारा रोका जाता है तो दूसरी तरफ उनके द्वारा ठाने चौकियों पर जिले के कप्तान द्वारा किये जाने वाले ट्रांसफर पोस्टिंग की लिस्ट जारी की जा रही है। आपको बता दे कि देहरादून और ऊधमसिंहनगर जिलो में विधायक मंत्रियो के हस्तेक्षप के बाद पुलिस के जवानो के ट्रांसफर हो रहे है। जिसका जीता जगता प्रमाण अभी मिला जब मंसूरी में विधायक को मास्क पहनने को लेकर चलन कटाने वाले दरोगा को जिले के दुरस्त इलाके में भेज दिया गया ,तो वही खनन माफियाओ पर कार्यवाही करने वाले चौकी इंचार्ज को लाइन हाजिर तक होना पड़ा। इन दिनों ऊधमसिंह नगर सहित राज्य में बीजेपी विधायक द्वारा लिखित स्थानांतरण मामला भी चर्चाओं में हैं।
जिसका संज्ञान पुलिस मुख्यालय द्वारा लिया गया है। मुख्यालय प्रवक्ता डीआईजी निलेश भरने का कहना है कि उधम सिंह नगर में हुए सभी ट्रांसफर को निरस्त कर दिया गया है जिस पर आईजी कुमाऊं को जांच के भी आदेश दिये गये हैं। जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी और अन्य जिलों में भी जानकारी जुटाई जा रही है। दरअसल, मार्च महीने में पुलिस विभाग में इंसपेक्टरों और सब इंसपेक्टरों के तबादलों में नेताओं की दखलंदाजी के चलते फिलहाल रोक लगा दी गई थी। वहीं दूसरी तरफ जिन पुलिस जवानों को उनके काम के चलते इनाम मिलना चाहिए था, उन पुलिसकर्मियों को इनाम न मिलकर सज़ा दी जा रही है। इस दखलंदाजी पर अब कांग्रेस भी सवाल उठाने लगी है। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव संजय पालीवाल का कहना है कि राज्य में पुलिस विभाग पर सत्ता पक्ष के नेताओं की पूरी दखलंदाजी रहती है जो अधिकारी न्यायपूर्ण और नियम के अनुसार काम करते हैं, उनको ये थाने-चौकियों से हटा देते हैं और अपने चहेतों को बैठवा देते हैं। यह पहला मौका नहीं है जब सरकार के मंत्री विधायक का हस्तक्षेप पुलिस के ट्रांसफर पर न रहता हो। इससे पहले भी कई बार ऐसे प्रकरण सामने आए हैं। अब ऐसी कार्रवाई से सही काम करने वाले जवानों का मनोबल भी टूट रहा है।