( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाडा परिषद् अध्यक्ष व निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत नरेन्द्र गिरी के सुसाइट नोट से इस बात का खुलासा हुआ है कि उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम इसलिए उठाया क्योकि उनके शिष्य आनन्द गिरी की एक फाेटो के सााथ छेड़छाड़ कर एक लड़की के साथ जोड़कर उन्हें ब्लैकमेल कर रहा था। महंत नरेंद्र गिरि ने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैंने पूरा जीवन सम्मान से जिया है। अगर ये फोटो बाहर आ जाएगी तो मैं समाज में सम्मान से जी नहीं पाऊंगा। इससे बेहतर मर जाना है। सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि 13 सितंबर को भी खुदकुशी की कोशिश की थी।
पुलिस के पास मौजूद सुसाइड नोट में महनी नरेन्द्र गिरी ने लिखा है कि आनंद गिरि के कारण आज मैं विचलित हो गया। हरिद्वार से सूचना मिली की आनंद कंप्यूटर के माध्यम से एक लड़की के साथ मेरा फोटो जोड़कर गलत काम करते हुए फोटो वायरल करने वाला है। मेरे को बदनाम करने जा रहा है. मैंने सोचा कि एक बार बदनाम हो गया तो कहां-कहां सफाई दूंगा। बदनाम हो गया तो जिस पद पर हूं उसकी गरिमा चली जाएगी। इससे अच्छा तो मर जाना ठीक है. मेरे मरने के बाद सच्चाई तो सामने आ ही जाएगी। आगे नरेंद्र गिरि ने लिखा कि मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं अगर मेरी बदनामी हो गई तो मैं समाज मैं कैसे रहूंगा, इससे अच्छा मर जाना ठीक रहेगा।
सामने आया महंत नरेन्द्र गिरी का सुसाइट नोट
13 सितंबर को ही करना चाहता था सुसाइड
महंत नरेंद्र गिरि ने सुसाइड नॉट में लिखा है कि वे 13 सितंबर को ही आत्महत्या करने वाले थे। लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया। आज जब हरिद्वार से सूचना मिली की आनंद एक दो दिन में फोटो वायरल करने वाला है तो बदनामी से अच्छा मर जाना है। मेरी आत्महत्या का जिम्मेदार आनंद गिरि, पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उनका लड़का संदीप तिवारी है। तीनों आरोपियों के नाम के साथ लिखा है कि मैं पुलिस अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों से प्रार्थना करता हूं कि इन तीनों के साथ कानूनी कार्रवाई की जाए जिससे मेरी आत्मा को शांती मिल सके।
बलवीर गिरि को बनाया उत्तराधिकारी
महंत नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में शिष्य बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाया है। महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा कि प्रिय बलवीर गिरि मठ मंदिर की व्यवस्था का प्रयास करना, जिस तरह से मैं किया करता था, साथ ही उन्होंने अपने कुछ शिष्यों का ध्यान रखने की भी बात कही। इसके साथ उन्होंने महंत हरी गोविंद पुरी के लिए उन्होंने लिखा कि आप से निवेदन है कि मढ़ी का महंत बलवीर गिरि को ही बनाना, साथ ही महंत रविन्द्र पुरी जी के लिए उन्होंने लिखा कि आप ने हमेशा साथ दिया है, मेरे मरने के बाद भी मठ की गरिमा को बनाए रखना।