( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड में बेरोजगारों को नौकरियां नहीं मिल रही है। हालत यह है कि उत्तराखंड में अचानक बेरोजगार दर बढ़ गई है। यह 2.9 फीसदी से बढ़कर 8.7 हो गई है, जो राष्ट्रीय स्तर की बेरोजगारी दर 7.8 फीसदी से भी अधिक है। मई की अपेक्षा जून में 5.8 फीसदी बेरोजगारी दर बढ़ी है। अक्तूबर 2020 के बाद पहली बार राज्य में इतनी बेरोजगारी दर बढ़ी है।
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने शुक्रवार रात अपनी रिपोर्ट जारी की है। राष्ट्रीय स्तर पर भी बेरोजगारी दर बढ़ी है। देश में बेरोजगारी 7.1 फीसदी से 7.8 फीसदी हो गई है। वहीं, प्रदेश में 19 महीने बाद इतनी तेजी से बेरोजगारी दर बढ़ी है। अक्तूबर 2020 में 9.2 फीसदी बेरोजगारी दर थी।
सितंबर 2020 में 22.3 फीसदी बेरोजगारी दर थी। नवंबर 2020 में सबसे कम 1.5 बेरोजगारी दर थी। कोरोना काल के बाद पहली बार इस तरह बेरोजगारी दर प्रदेश में बढ़ी है।
क्या है सीएमआईई रिपोर्ट और कैसे ? :
सीएमआईई की ओर से इस सर्वे में 15 वर्ष से अधिक के युवाओं को शामिल किया जाता है। रोजगार की स्थिति की जानकारी लेने के बाद रिपोर्ट तैयार की जाती है। इसको ऐसे समझा जा सकता है कि प्रदेश में बेरोजगारी दर 8.7 फीसदी रहने का मतलब होता है कि वहां प्रत्येक 1000 लोगों में से 87 को कोई काम नहीं मिला है।
हरियाणा में सबसे अधिक बेरोजगारी:
सबसे अधिक बेरोजगारी दर हरियाणा में 30.6, राजस्थान 29.8, असम में 17.2 और बिहार में 14 फीसदी है।
कब कितनी रही बेरोजगारी दर
महीना फीसदी
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जनवरी 3.5 फीसदी
फरवरी 4.6 फीसदी
मार्च 3.5 फीसदी
अप्रैल 5.3 फीसदी
मई 2.9 फीसदी
जून 8.7 फीसदी
वाणिज्य विशेषज्ञ डॉ. सुनील बत्रा बताते है कि इसका प्रमुख कारण कोविड-19 का प्रभाव अब आंकड़ों के रूप में दिखाई दे रहा है। मई और जून में परीक्षाफल आते हैं, ऐसे में बच्चे सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण कराते हैं। इसी कारण बेरोजगारी की दर में वृद्धि दिख रही है।