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ऊर्जा निगमों पर नकेल सरकार का सराहनीय कदम,मोर्चा की मुहिम लाई रंग।आखिर कैसे ? जाने 

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* सरकार द्वारा ऊर्जा निगमों पर नकेल कसने को बनाई गई है समिति|      

* वर्ष 2008 में तत्कालीन मुख्य सचिव दे चुके निर्देश इनको शासन के अधीन लाने हेतु |                * स्वायत्तता का लाभ उठाकर किया जाता है नियुक्तियों, पदोन्नतियों, निविदाओं में करोड़ों का घोटाला |           

* तीनों निगम यूपीसीएल,यूजेवीएनएल, पिटकुल नहीं आना चाहते शासन के अधीन |                   

* वर्ष 2013 में तीनो निगम जता चुके थे असहमति |            

* मोर्चा द्वारा जनवरी  2020 में इन पर नकेल कसने को सरकार से की गई थी मांग |            

* वर्ष 2002-03 में यूजेवीएनएल में हुई फर्जी नियुक्तियों को लेकर सरकार से की गई थी 3 दिन पहले कार्यवाही की मांग |             

( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा ऊर्जा विभाग के तीनों निगमों यथा यूपीसीएल, यूजेवीएनएल व पिटकुल  पर नकेल कसने हेतु  पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक  समिति का गठन किया गया है, जोकि सरकार का सराहनीय कदम है | उक्त निगमों पर नकेल कसने हेतु जनवरी 2020 में मोर्चा द्वारा सरकार से मांग की गई थी तथा 3 दिन पहले ही वर्ष 2002- 03 में यूजेवीएनएल  में हुई फर्जी  नियुक्तियों  के मामले में सरकार से कार्रवाई की मांग की गई थी | नेगी ने कहा कि पूर्व में इन  निगमों  को स्वायत्तता प्रदान की गई थी, जिसके चलते इन निगमों में प्रबंध निदेशकों का एकछत्र राज चलता है | अति महत्वपूर्ण यह है कि स्वायत्तता के चलते इन निगमों के आका कर्मचारियों /अधिकारियों की नियुक्तियां, पदोन्नति,  पद सृजन, उच्चीकरण, वेतन निर्धारण, निविदाओं का खेल,  करोड़ों -अरबों के सामान की खरीद-फरोख्त आदि तमाम मामलों में बहुत बड़ा खेल कर जाते हैं, जिसकी भनक  शासन तक को नहीं लग पाती |

नेगी ने कहा कि उक्त स्वायत्तता को समाप्त किए जाने की दशा में तत्कालीन मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे द्वारा दिनांक 10/ 12 /2008 को इनकी स्वायत्तता पर अंकुश लगाने के आदेश दिए गए थे ,तथा उक्त मामले में श्री पांडे द्वारा कड़ी आपत्ति जताई गई थी |  नेगी ने कहा कि तत्कालीन मुख्य सचिव के निर्देश पर पत्रावली वर्ष 2013 में गतिमान हुई ,जिसके क्रम में उर्जा निगम के तीनों प्रबंध निदेशकों द्वारा एक सुर में फिर से स्वायत्तता की बात कही यानी एक तरह से शासन के अधीन आने से असहमति जता दी | उक्त के पश्चात शासन ने पत्रावली पर मंथन कर मुख्य सचिव के आदेश 25/10/ 2013 को हवा में उड़ा दिए | नेगी ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि इन निगमों में 100 फीसदी अंशधारिता राज्य सरकार की है तथा इन निगमों द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों -अरबों रुपए की खरीद-फरोख्त, अनुरक्षण, नव निर्माण आदि तमाम मामलों में घोटाले किए जाते हैं, जिससे सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगती है लेकिन सरकार  कुछ नहीं कर पाती | सरकार द्वारा इन निगमों पर नकेल कसना मोर्चा की  बहुत बड़ी सफलता है |

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