Dehradun Slider Uttarakhand

ढैंचा बीज घोटाले की एस0एल0पी0 सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, मोर्चा दाखिल करेगा रिव्यू। आखिर कब ? जाने 

Spread the love

  उच्च न्यायालय ने भी राजनैतिक पृष्ठ भूमि के आधार पर खारिज की थी पूर्व में मोर्चा की पी0आई0एल0।
 कृषि मन्त्री रहते वर्ष 2010 में त्रिवेन्द्र ने दिया था घोटाले को अन्जाम।
 त्रिपाठी जाँच आयोग ने पाया था त्रिवेन्द्र को भ्रष्टाचार का दोषी।
 मुख्यमन्त्री बनते ही त्रिवेन्द्र ने पलट दिया था एक्शन टेकन रिपोर्ट को अपने पक्ष में।

पत्रकारों से वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष ,photo-n1h


(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून।
  स्थानीय होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमन्त्री श्री त्रिवेन्द्र रावत ने वर्ष 2010 में कृषि मन्त्री रहते हुए ढैंचा बीज घोटाले को अन्जाम दिया था, जिसको लेकर मा0 उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी थी, जिसको मा0 उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। उक्त फैसले के खिलाफ मोर्चा द्वारा मा0 सर्वोच्च न्यायालय में एस0एल0पी0 योजित की गयी, जिसको मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहकर खारिज कर दिया कि मामले में अत्याधिक विलम्ब किया गया है व पूर्व में पारित मा0 उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है।


नेगी ने कहा कि उक्त घोटाले की जाँच को लेकर पूर्ववर्ती सरकार ने वर्ष 2013 में एकल सदस्यीय एस0सी0 त्रिपाठी जाॅंच आयोग का गठन किया था। आयोग द्वारा उक्त मामले में श्री त्रिवेन्द्र रावत को तीन बिन्दुओं पर दोषी पाया, जिसमें कृषि अधिकारियों का निलम्बन और फिर इस आदेश को पलटना, सचिव, कृषि द्वारा मामले की जाॅंच विजीलेंस से कराये जाने के प्रस्ताव पर अस्वीकृति दर्शाना तथा बीज डिमांड प्रक्रिया सुनिश्चित किये बिना अनुमोदन करना। इस प्रकार आयोग ने इस मामले में उ0प्र0 कार्य नियमावली 1975 का उल्लंघन पाया तथा श्री रावत के खिलाफ सिफारिश की है कि श्री रावत प्रीवेंसन आॅफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 13(1) (डी) के अन्तर्गत आते हैं तथा सरकार उक्त तथ्यों का परीक्षण कर कार्यवाही करे।


आयोग की उक्त रिपोर्ट/सिफारिश को सदन के पटल पर रखा गया, जिसमें सदन ने एक्शन टेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिये। इस मामले में कोई कार्यवाही होती, इसी दौरान वर्ष 2017 में मुख्यमन्त्री बनते ही श्री त्रिवेन्द्र ने अधिकारियों पर दबाव डालकर स्वयं को क्लीन चिट दिलवा दी।
मोर्चा द्वारा वर्ष 2018 में उक्त मामले को लेकर मा0 उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी थी, जिस पर मा0 उच्च न्यायालय ने दिनांक 18.09.2018 को यह कहकर याचिका खारिज कर दी कि याची राजनैतिक व्यक्ति है तथा पूर्व में गढ़वाल मण्डल विकास निगम का उपाध्यक्ष रहा है।
नेगी ने कहा कि श्री त्रिवेन्द्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा शीघ्र ही मा0 सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ रिव्यू (समीक्षा याचिका) दाखिल करेगा तथा फिर से मा0 उच्च न्यायालय में एक अलग याचिका मोर्चा द्वारा दाखिल कर श्री त्रिवेन्द्र के घोटाले को आमजन तक पहुॅंचायेगा।
पत्रकार वार्ता में:- विजयराम शर्मा, दिलबाग सिंह, अनिल कुकरेती, भीम सिंह बिष्ट आदि थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *