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उत्तराखंड के आठों नगर निगम उपमहापौर से वंचित, जनता व जनप्रतिनिधियों के लोेकतांत्रिक अधिकारों का आखिर क्यों हो रहा हनन ? जाने 

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-देहरादून के अतिरिक्त किसी नगर निगम के गठन से ही उपमहापौैर का कोई चुनाव नहीं हुआ ।

( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

देहरादून । उत्तराखंड केे आठों नगर निगम उप महापौैर से वंचित हंैै। देहरादून के अतिरिक्त प्रदेश के किसी भी नगर निगम को उसके गठन से ही कोई उपमहापौर नहीं मिला। यह खुलासा सूचना अधिकार के तहत उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है। काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने राज्य निर्वाचन आयोेग के लोक सूचना अधिकारी से नगर निगमों  के उप महापौैरध्डिप्टी मेयर के चुनाव सम्बन्धी सूचना मांगी थी इसके उत्तर में राज्य निर्वाचन आयोेग के लोक सूचना अधिकारी, सहायक आयुक्त राजकुमार वर्मा द्वारा  अपने पत्रांक 4302 से सूचना उपलब्ध करायी है।  कानून के जानकार तथा नगर निगम चुनाव कानून सहित 44 कानूनी व जागरूकता पुस्तकों के लेखक नदीम उद्दीन ने बताया कि नगर निगम अधिनियम की धारा 10 केे अनुसार नगर निगम में एक उपमहापौैर का प्रावधान हैै जिसे महापौैर की स्थायी व अस्थायी अनुपस्थिति में उसके कार्यों को करने का अधिकार होता हैै। इसके अतिरिक्त धारा 54 के अनुसार वह नगर निगम की विकास समिति का पदेन सभापति होता है।  उप महापौैर को पार्षदों द्वारा पार्षदों में से चुना जाता है औैर इसके चुनाव पर आरक्षण नियम लागू होते हैं। उप महापौैर का कार्यकाल ढाई वर्ष या पार्षद के रूप में उसके कार्यकाल, जो भी पहले हो तक होेता है। इस प्रकार एक महापौैरध्निगम के कार्यालय में दो बार उपमहापौैर का चुनाव होना चाहिये।

उत्तराखंड में वर्तमान में 8 नगर निगम है। उत्तराखंड गठन के बाद पहले नगर निगम देहरादून का गठन 2003 में तथा 2011 में दो नगर निगम हरिद्वार व हल्द्वानी का गठन हुआ। इसके बाद 2013 में तीन नगर निगम रूदपुर काशीपुर तथा रूड़की तथा 2017 मे ऋषिकेेश तथा कोेटद्वार नगर निगम का गठन हुआ। देहरादून नगर निगम में ही केवल 2003 व 2006 में उप महापौैरध्उप नगर प्रमुखध्डिप्टी मेयर के चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कराये गये हैै। श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार 2003 के चुनाव में उमेश शर्मा तथा 2006 के चुनाव में अजीत रावत देेहरादून के डिप्टी मेयर चुने गये थे। इसके बाद 2008 में पार्षदोें के चुनाव के बाद तथा 2011 में डिप्टी मेयर का कार्यकाल पूरा होनेे पर 2013 में पार्षदों केे चुनाव के बाद तथा 2016 में कार्यकाल पूरा होने पर  तथा 2018 में पार्षदों के चुनाव केे बाद डिप्टी मेयर का चुनाव होना चाहियेे  था इस प्रकार देेहरादून के पार्षद अब तक पांच बार  डिप्टी मेयर चुनने व चुने जाने केे अवसर से वंछित रहे है। काशीपुर रूद्रपुर, हल्द्वानी, हरिद्वार तथा रूड़की नगर निगम में पहले पार्षद व महापौर चुनाव 2013 मे हुये। इसके उपरान्त 2013 में तथा कार्यकाल पूरा होने पर 2016 तथा 2018 में पुनः पार्षद चुनाव होने पर डिप्टी मेयरध्उपमहापौैर का चुनाव होना चाहिये था जो नहीं कराया गया। इन नगर निगमों में पार्षद तीन बार उपमहापौैर चुनने व चुने जानेे के अधिकार से वंछित रहे है। सबसेे नयेे नगर निगम ऋषिकेश तथा कोटद्वार का गठन 2017 में हुआ लेकिन पार्षदों का चुनाव 2018 में हुआ। पार्षदों के चुनाव के बाद इसमें भी उप महापौैरध्डिप्टी मेयर चुना जाना चाहिये था लेकिन डेढ़ वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी यह चुनाव नहीं कराये गये हैै तथा पार्षद डिप्टी मेयर चुने जाने व चुनने के अधिकार से वंछित है। राज्य निर्वाचन आयोेग के लोेक सूूचना अधिकारी ने नदीम को चुनाव न कराने का कोई कारण तो नहीं बताया है लेकिन आयोेग द्वारा सचिव शहरी विकास, उत्तराखंड शासन को भेेजे पत्रों की प्रतियां उपलब्ध करायी हैै जिसमें इन पदोें के आरक्षण की अधिसूचना उपलब्ध कराने की अपेक्षा की गयी हैै।

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