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इबादत मिलकर करे या न करें, परन्तु अपने वतन की हिफाज़त मिलकर करे !कहा से आई यह आवाज़ ?जाने

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अमन-एकता हरियाली यात्रा का दूसरा चरण ,मदनी नगर से मोहब्बत नगर का पैगाम
अहमदाबाद, गुजरात में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण, अमन-एकता हरियाली यात्रा
अब केवल नल नहीं बल्कि नदियों की भी चिंता करें, गंदगी को दूर करना ही सबसे बड़ी बंदगी
पेड़ लगाना बहाना है मकसद है देश बनाना-मौलाना महमूद असअद मदनी
पेड़ नहीं बल्कि प्यार की यात्रा- स्वामी माधवप्रिय दास
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान ) 
ऋषिकेश/ अहमदाबाद। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज और मौलाना महमूद असअद मदनी महासचिव, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द, स्वामी नारायण गुरूकुल के स्वामी माधवप्रिय दास महाराज, अहमदाबाद, कई मौलाना, मस्जिदों, गुरूकुलों, विद्यालयों के छात्र तथा शिक्षक, इमाम, और अनेक गणमान्य अतिथियों की पावन उपस्थिति में अहमदाबाद सहित गुजरात के अन्य स्थानों में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया गया।

 गुजरात प्रांत के अहमदाबाद, मेहेसना, सिद्धपुर,  ईदगाह, बादरगढ़ नवचेतना स्कूल, कमलुर ताज मीनार, सेद्राशना स्कूल, कनोडर स्कूल, पालनपुर स्वामी गुरूकुल स्कूल, ईदगाह, रेलवे स्टेशन और अन्य स्थानों पर पौधों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

अमन-एकता हरियाली यात्रा में आज हजारों हिन्दू-मुस्लिम भाई बहनों ने सहभाग किया। धर्मगुरूओं ने अपने उद्बोधन के माध्यम से अपने अनुयायियों को पर्यावरण संरक्षण के साथ देश में अमन, एकता, शान्ति और भाईचारा स्थापित करने का संदेश दिया। 

स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने पालनपुर, स्वामी गुरूकुल स्कूल में वृक्षारोपण के पश्चात विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि हम इबादत मिलकर करे या न करें परन्तु अपने वतन की हिफाज़त मिलकर करे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि जब हमारे घर के नलों में कभी पानी नहीं आता तो हम परेशान हो जाते है और नगरपालिका को कोसने लगते है, पूरे मोहल्ले में शोर मच जाता है, सभी लोग घरोें से बाहर आ जाते है और सम्बंधित विभाग से लड़ते-झगड़ते है परन्तु जब हमारी नदियों में पानी नहीं आता; नदियाँ सूख जाती है तब किसी को कोई परेशानी नहीं होती, तब कोई आवाज नहीं उठाता। मुझे तो लगता है अब केवल नल नहीं बल्कि नदियों की भी चिंता करें। उन्होेने कहा कि नल में तो पानी तभी आयेगा न जब नदियों में पानी होगा अब इस ओर सोचने की जरूरत है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने गोकुल विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि पहले के समय में हमारे यहां कुँये, तालाब और जल स्रोतों के रखरखाव पर बहुत ध्यान दिया जाता था और उस पर चिंतन किया जाता था। जल का चिंतन ही जीवन का चिंतन है; जल नहीं बचेगा तो जीवन भी नहीं बचेगा अतः इस ओर बहुत गंभीरता से सोचने की जरूरत है। स्वामी जी ने कहा कि चेन्नई ने जल को खोया अब धीरे-धीरे बैंगलोर भी जल संकट की कगार पर है। जल वैज्ञानिको ने घोषणा की है कि आने वाले समय में भारत के 22 बड़े शहरों में जल का संकट उत्पन्न होने वाला है अतः जल संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने वृक्षारोपण के पश्चात मेहेसना विद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि अपनी सोच को बदलकर दीवारों पर लिखी गंदगी और दिमागों की गंदगी को हटाना है। जैसे जैसे दिमागों की गंदगी दूर होगी तो दिल एक होंगे और जब दिल एक होंगे तो देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया एक परिवार की तरह लगेगी। अच्छी सोच आने पर लोग अपने वतन की अपनों की इज्जत करने लगंेगे और फिर ’’मेरा वतन मेरी शान’’ चरितार्थ होगा। 

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सेद्राशना स्कूल में बच्चों के साथ पौधा रोपण किया और स्कूल परिसर की सफाई करने का संदेश देते हुये कहा कि गंदगी ईश्वर और अल्लाह किसी को भी प्रिय नहीं है। गंदगी और बंदगी दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते इसलिये मेरी गंदगी मेरी जिम्मेदारी हो; मेरा शहर मेरी शान बने और मेरा देश महान बने।

मौलाना महमूद असअद मदनी जी महासचिव, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने कहा कि साथ-साथ मिलकर वृक्षारोपण करना हमारी कौमी एकता का प्रतीक है। एक साथ काम करने से दिलों और दिमागांे की गंदगी निश्चित रूप से साफ होगी। उन्होने कहा कि हम मिलकर वृक्षारोपण जैसे कामन एजेंडा पर काम करे तो धीरे-धीरे और भी चीजंे जुड़ती जायेगी। अमन-एकता हरियाली यात्रा, एकता और स्वच्छता का संदेश दे रही है और इसका उद्देश्य देश में हरियाली, खुशहाली और एकता लाना है। उन्होने कहा कि अब हमें ऐसी बंदगी करनी है जो बाहर और भीतर की गंदगी को दूर करे, गंदगी को दूर करना ही सबसे बड़ी बंदगी है। गंदगी चाहे दिमागों की हो, दिलों की हो या फिर हमारी गलियों की या हमारे मोहल्लों की हो इसे साफ करना भी एक नमाज़ होगी। मौलाना साहब ने कहा कि जिन गलियों में मन्दिर और मस्जिद है उन्हे स्वच्छ रखना ही अल्लाह और ईश्वर की इबादत है। हमारा शहर स्वच्छ रहेगा तो हम स्वस्थ रहेंगे और समृद्ध होगंे।

स्वामी माधवप्रिय दास महाराज ने कहा कि यह केवल पेड़ों की नहीं बल्कि प्यार की यात्रा है जो मदनीनगर से गुजरात के अन्य शहरों में जायेगी। उन्होने बताया कि इस श्रेष्ठ संकल्प की शुरूआत म्यांमार से शुरू हुई थी जब हम तीनों धर्मगुरू वहां पर मिले थे। म्यांमार में उठा संकल्प मदनीनगर से होते हुये पूरे राष्ट्र में हरियाली और खुशहाली लेकर आयेगा।

सिद्धपुर, ईदगाह में वृक्षारोपण के पश्चात स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि इस देश की तस्वीर और तकदीर बदलने का काम हम सब कर सकते है आईये आज हम सभी संकल्प लें कि हम सभी एक है, एक थे और एक रहेेंगे तथा अपने वतन को सजायंेगे।

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