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आईआईटी रुड़की ने कोविड-19 से निपटने के लिए पोर्टेबल वेंटिलेटर विकसित किया। आखिर कितना सहयोगी होगा साबित ? जाने 

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-इस क्लोज्ड लूप वेंटिलेटर के लिए कोम्प्रेस्सड हवा की आवश्यकता नहीं  पड़ती और यह उस स्थिति में काफी उपयोगी है जब वार्ड को आईसीयू में परिवर्तित किया जा रहा हो|
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
रुड़की।
  आईआईटी रुड़की ने एक कम लागत वाला पोर्टेबल वेंटिलेटर विकसित किया है जो कोविड -19 रोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उपयोगी सिद्ध हो सकता है। ‘प्राण-वायु ’ नाम के इस क्लोज्ड लूप वेंटिलेटर को एम्स, ऋषिकेश के सहयोग से विकसित किया गया है, और यह अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। वेंटिलेटर मरीज को आवश्यक मात्रा में हवा पहुंचाने के लिए प्राइम मूवर के नियंत्रित ऑपरेशन पर आधारित है। स्वचालित प्रक्रिया दबाव और प्रवाह की दर को साँस लेने और छोड़ने के अनुरूप नियंत्रित करती है। इसके अलावा वेंटिलेटर में ऐसी व्यवस्था है जो टाइडल वॉल्यूम और प्रति मिनट सांस को नियंत्रित कर सकती है। वेंटिलेटर सांस नली के विस्तृत प्रकार के अवरोधों में उपयोगी होगा और सभी आयु वर्ग के रोगियों, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए खास लाभदायक है। प्रोटोटाइप का परीक्षण सामान्य और सांस के विशिष्ट रोगियों के साथ सफलतापूर्वक किया गया है। इसके अतिरिक्त इसे काम करने के लिए कंप्रेस्ड हवा की आवश्यकता नहीं पड़ती है| और यह विशेष रूप से ऐसे मामलों में उपयोगी हो सकती है जब अस्पताल के किसी वार्ड या खुले क्षेत्र को आईसीयू में परिवर्तित करने की आवश्यकता आ गयी हो। यह सुरक्षित और विश्वसनीय है क्योंकि यह रीयल-टाइम स्पायरोमेट्री और अलार्म से सुसज्जित है। यह स्वचालित रूप से एक अलार्म सिस्टम के साथ उच्च दबाव को सीमित कर सकता है। विफलता की स्थिति में चोकिंग को रोकने के साथ ही सर्किट वातावरण में खुलता है। इसकी कुछ अतिरिक्त विशेषताएं स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा रिमोट मॉनिटरिंग, सभी ऑपरेटिंग मीटर का टच स्क्रीन द्वारा नियंत्रण, साँस लेने के लिए नमी तथा तापमान नियंत्रण हैं। प्रति वेंटिलेटर की विनिर्माण लागत 25000 रुपया होने का अनुमान है।


शोध टीम में आईआईटी रुड़की के प्रो.अक्षय द्विवेदी और प्रो.अरुप कुमार दास के साथ एम्स ऋषिकेश से डॉ.देवेन्द्र त्रिपाठी ऑनलाइन सहयोग के साथ  शामिल थे। उन्होंने कोविड-19 की इस संकटग्रस्त स्थिति में लोगों की मदद के लिए एक त्वरित प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए दूरसंचार के माध्यम से केवल एक सप्ताह पहले ही अपनी टीम बनाई थी। वेंटिलेटर पर अनुसंधान और विकास से जुड़े कार्य लॉकडाउन की अवधि के दौरान शुरू हुए| इसकी वजह से आईआईटी रुड़की के टिंकरिंग प्रयोगशाला की सुविधाओं का उपयोग करते हुए ही माइक्रोप्रोसेसर-कंट्रोल्ड नॉन-रिटर्न वाल्व, सोलेनॉइड वाल्व, वन-वे वाल्व आदि जैसे कई भागों के विकास की आवश्यकता थी।


 “प्राण-वायु को विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह कम लागत वाली, सुरक्षित और विश्वसनीय मॉडल है, जिसका निर्माण तेजी से किया जा सकता है। हमने एक
फेफड़े पर जांच कर वेंटिलेटर की आवश्यकता को इस यंत्र के द्वारा सफलतापूर्वक प्राप्त किया है| इसका उपयोग शिशुओं और यहां तक ​​कि अधिक वजन वाले वयस्कों दोनों के लिए किया जा सकता है, “प्रो.अक्षय द्विवेदी, समन्वयक, टिंकरिंग प्रयोगशाला, आईआईटी रुड़की, ने कहा। “हमारा वाणिज्यिक उत्पाद आसान पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए 1.5 फीट × 1.5 फीट के अनुमानित आयाम का होगा,” उन्होंने आगे कहा।
” सीआईआई द्वारा आयोजित एक वेबिनार में ‘प्राण-वायु’ को 450 से अधिक उद्योगों के लिए प्रस्तुत किया गया। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमने इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए कई उद्योगों से अनुरोध/सहमति प्राप्त किया है। हम महामारी से निपटने में सरकार के प्रयासों को तेज करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। कम लागत वाला यह वेंटिलेटर कोविड-19 के रोगियों के लिए अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होगा, खासकर इस स्थिति में जब वेंटिलेटर की कमी है, ” प्रो. अजीत के चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी रुड़की, ने यंत्र के बारे में बात करते हुए कहा।

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