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आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में हर कोई कभी न कभी अवसाद (Depression) का शिकार हो ही जाता है। आखिर कैसे ? जाने 

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*अपने और अपनों के लिए समय देना डिप्रेशन से बचने का सबसे कारगर उपाय: डा.महेंद्र राणा
( ब्यूरो, न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
 आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में हर कोई कभी न कभी अवसाद (Depression) का शिकार हो ही जाता है ,आजकल आप किसी को देखकर अंदाजा नहीं लगा सकते कि कोई इंसान अंदर से कितना परेशान है। डिप्रेशन या मनो अवसाद (Depression) एक मानसिक रोग की श्रेणी में आता है ।हमारी दिनचर्या इतनी व्यस्त हो जाती है कि हमें अपने लिए समय नहीं मिल पाता है । दिनभर हमारे दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है ,जिसे न आप किसी को बता पाते हैं और न खुद सहन कर पाते हैं,जो एक दिन डिप्रेशन  का रूप ले लेती है.


इसी ज्वलंत विषय पर News 1 Hindustan से विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के बोर्ड सदस्य डा. महेन्द्र राणा बताते हैं कि हमारी लाइफ में कई ऐसी घटनाएं होती हैं जिनका हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है । विश्व के सबसे पहले प्रामाणिक स्वास्थ्य विज्ञान आयुर्वेद में अवसाद के कारणों का उल्लेख करते हुए लिखा है कि – चिंता शोक भय त्रासम् दुःख शैया प्रजागरे।। इसकी विवेचना करते हुए डा. राणा बताते हैं कि चिंता, भय ,उदासीनता, असंतोष, खालीपन, अपराध बोध, निराशा, अतिमहत्वाकांक्षा एवं सम्पूर्ण नींद न लेना डिप्रेशन के प्रमुख कारण हैं । अवसाद में व्यक्ति व्यथित होता है, या तो वह दुखी रहता है या उसकी ऊर्जा का हृास कर लेता है। जो उसके मानसिक स्तर को प्रभावित करता है ऐसी स्थिति में व्यक्ति बहुत ही तनाव ग्रस्त और परितक्त्या अनुभव करता है। उसके मन में अपने प्रति संशय उन्पन्न होने लगता है जिसके कारण उसकी कार्य क्षमता प्रभावित होती है उसे यह अवस्था और अधिक अवसाद में ले जाती है, इस अवस्था में व्यक्ति में अपना भला बुरा सोचने की क्षमता समाप्त हो जाती है और वह वीभत्स कार्य जैसे आत्महत्या हाथ की नसें काटना, फाँसी लगाना इत्यादि कार्य करके स्वयं को ही हानि पहुँचाता है। वह स्वयं की शक्ति को पहचानने में असमर्थ हो जाता है और सदा लाचारी की स्थिति में रहता है। उसे निराशा सदा घेरे रहती है और अपने आस-पास किसी को पसंद नहीं करता है। अकेलापन उसे अच्छा लगता है। किसी की भी बात भले ही मजाक में कही गई हो उसे तीर की तरह चुभ जाती है हर बात को अपने से जोड़ लेता है और सब पर संदेह करता है। भूतकाल को याद करके या बीती बातों को याद करके अकेले में रोता है। वह अपने मन की बात किसी से नही बताता क्योंकि उसे अपने परम हितैशियों पर भी विश्वास नहीं होता न ही ईश्वर पर, वह हर दम अपनी परिस्थिति के लिए उन्हें कोसता रहता है। कुछ मरीज वाचाल होते हैं, क्रोध व्यक्त करते हैं, चिड़चिड़ापन दिखाते हैं, अत्यधिक गुस्सा, नफरत प्रकट करते हैं और कुछ अन्तर्मुखी होते हैं उनके लिए अवसाद बेहद गम्भीर स्थिति उत्पन्न कर देता है, एकाकी जीवन शैली को अपनाकर वे गहन मौन में चले जाते हैं । कुछ अवसादग्रस्त व्यक्ति जो दिन में काम करते हैं व्यस्त होते हैं, तब तक अवसाद की स्थिति से दूर रहते हैं किंतु जैसे ही वे अकेले हो जाते हैं फिर वे उसी भूतकाल में डूब जाते हैं, या भविष्य की चिंता करते हैं।


  डा. राणा के अनुसार अवसाद एक सामान्य किंतु गम्भीर मनोविकार है ,जो हमारे अंदर नकारात्मक विचारों और कृत्यों का उत्पन्न करता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में अवसाद देखा गया है। तनाव युक्त जीवन, अत्यधिक महत्वकांक्षी होना इन्हें और बढ़ाता है ,यह हर उम्र में हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर 6 महिलाओं में 1 और 8 पुरुषों में 1 डिप्रेशन का शिकार है।
 विश्व में आठ लाख लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, इनमें से 17% हमारे भारतीय हैं।दुनिया में हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या का शिकार हो जाता है।
  डा. महेन्द्र राणा अवसाद का उपचार बताते हुए कहते हैं कि सौभाग्य से अवसाद का निवारण है। यह लाइलाज बीमारी नहीं है । यदि आपके आस-पास कोई भी व्यक्ति अवसाद के बताए गए लक्षणों से कम या अधिक ग्रस्त है तो उसे तुरंत चिकित्सक के पास लेकर जाऐं। 2 हफ्ते से अधिक यदि कोई व्यक्ति दुखी या उदास है और खाना-पीना ठीक से ना ले रहा हो तो वह अवसाद से ग्रसित हो सकता है। योग ,औषधियां और मनोचिकित्सा एक साथ लेने से अवसाद ग्रस्त व्यक्ति में अधिक असर होता है। समुचित आहार, योग, प्राणायाम और ध्यान उपचार हेतु बहुत लाभदायक है और पूरी तरह इसे ठीक करने में सहायक है। इसी के साथ अन्य कारण जैसे कुपोषण और बीमारियाँ जो साथ में हैं उन्हें ठीक करना मुख्य होता है।
 एक पुरानी कहावत है, जैसा खाये अन्न वैसा होवे मन। भोजन में जरुरी पोषक तत्व ना होने से अवसाद की स्थिति और बिगड़ जाती है। सही आहार अवसाद को ठीक करने में अति सहायक है। 70 -90% मनोविकारों में लाभ मिलता है। एपिजीन में परिवर्तन करने वाले स्वास्थ्य दायक आहार का प्रयोग करें जिससे मन अच्छा रहेगा और नींद भी ठीक होगी जो कि आपकी कार्य क्षमता​ को बढ़ाएगी। सिरोटोनिन को फील गुड हॉर्मोन कहते हैं जो आपके मन को अच्छा रखता है और अच्छी नींद में सहायक है। ट्रिप्टोफैन युक्त आहार सिरोटोनिन की मात्रा बढ़ाने में सहायक है जैसे चना इत्यादि।


उपचार में सहायक आहार की जानकारी देते हुए डा. महेंद्र राणा ने बताया कि
विटामिन बी 12 और फोलेट युक्त आहार- दूध, साबुत अनाज, ब्रोकली, बादाम, पालक, दालें, सप्लिमेंट्स इत्यादि । सेलेनियम – सेलेनियम युक्त आहार डिप्रेशन के लक्षण घटाने में अति सहायक माना जाता है। ये साबुत अनाज और दालें, ब्राउन राइस, ओट ,अखरोट, अलसी,  शहद या गुड़ का प्रयोग करें। ताज़ा और शुद्ध भोजन करें और सही समय पर भोजन कर लें। कैफीन, शराब, धूम्रपान, तम्बाकू इत्यादि से बचें।
  अनुलोम विलोम, भ्रामरी प्राणायाम, बंध और सूर्य नमस्कार तथा योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। घर के बाहर निकलें, प्रतिदिन सैर पर जाएं और व्यायाम को अपने जीवन में स्थान दें तनाव अपने आप आपसे दूर हो जाएगा।
एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए डा. राणा कहते हैं कि इससे फर्क नहीं पड़ता आप कौन हैं, जीवन तब तक सही नहीं चलता जब तक आप सही चीजें नहीं करते। यदि आप सही परिणाम चाहते हैं तो सही कार्यों का चयन करें फिर जीवन हर दिन एक खूबसूरत चमत्कार से कम नहीं है। हमें अपने जीवन की जिम्मेदारी लेनी होगी जिससे हमारे अन्दर की असीमित क्षमताएं निखर कर आएगीं और तनाव रहित जीवन बनाना आसान हो जाएगा।

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