( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नैनीताल। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ फेसबुक पोस्ट लिखने के मामले में पत्रकार पर दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही पुरे मामले की सीबीआई जाँच के आदेश भी दिए गए है। आपको बता दे कि पत्रकार उमेश कुमार ने फेसबुक पोस्ट लिखकर मुख्यमंत्री पर आरोप लगाए थे कि झारखण्ड में प्रभारी रहने के दौरान उन्होंने पैसे लिए है। इस पर अमृतेश चौहान ने पत्रकार उमेश शर्मा व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। जबकि एफआईआर को निरस्त करने पत्रकारों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी और अब कोर्ट ने एफआईआर को निरस्त कर सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। जानकारी के अनुसार एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने इसी साल 31 जुलाई को देहरादून थाने में उमेश शर्मा के खिलाफ ब्लैकमेलिंग करने सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमे के अनुसार, उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया में खबर चलाई की प्रो. हरेंद्र सिंह रावत व उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत के खाते में नोटबन्दी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने पैसे जमा किये और यह पैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को देने को कहा था। इस वीडियो में डॉ सविता रावत को मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बहन बताया गया है। रिपोर्टकर्ता के अनुसार ये सभी तथ्य असत्य हैं और उमेश शर्मा ने बैंक के कागजात कूटरचित तरीके से बनाये हैं। उसने उनके बैंक खातों की सूचना गैर कानूनी तरीके से प्राप्त की है। इस बीच सरकार ने आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर भी लगा दी थी।
अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद उमेश शर्मा ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए हॉइकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल व अन्य ने पैरवी की थी। उनकी दलील थी कि नोटबन्दी के दौरान हुए लेनदेन के मामले में उमेश शर्मा के खिलाफ झारखंड में मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें वे पहले से ही जमानत पर हैं। इसलिए एक ही मुकदमे के लिये दो बार गिरफ्तारी नहीं हो सकती। पत्रकार उमेश कुमार व अन्य के खिलाफ देहरादून के अमृतेश चौहान द्वारा मामला दर्ज कराया गया था। जबकि न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने प्राथमिकी को निरस्त कर दिया है।