( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
न्यू टिहरी। इस फायर सीजन में मौसम और लॉकडाउन की वजह से वन विभाग को बड़ी राहत मिली है। टिहरी जिले में पिछले 4 सालों की अपेक्षा इस वर्ष वन में आग लगने की घटनाएं अभी तक जीरो के बराबर है। जबकि हर साल मई महीने में इस तरह की घटनाएं चरम पर होती थी। लेकिन अभी तक ऐसी कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है। 15 फरवरी से 15 जून तक होने वाले फायर सीजन में हर वर्ष कई हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ जाते थे और वन विभाग को लाखों की वनसंपदा का नुकसान उठाना पड़ता था। लेकिन इस वर्ष वन विभाग चैन की सांस ले रहा है। माना जा रहा है कि मौसम में बदलाव के चलते बारिश और कोरोना संक्रमण के चलते हुआ लॉकडाउन इसका मुख्य कारण है। बारिश के चलते जहां जंगल आग से बचे रहे वहीं लॉकडाउन के चलते मानवजनित आग की घटनाओं को भी रोकने में मदद मिली।
हर साल मई महीने में वन में आग लगने की कई घटनाएं सामने आती हैं। पिछले वर्ष मई माह में ही 70 से अधिक इस तरह घटनाएं सामने आई थी। लेकिन अभी तक इस तरह की सिर्फ एक घटना सामने आई है। जो काफी छोटे स्तर की थी। डीएफओ कोको रोशे का कहना है कि बारिश के कारण इस बार पीरूल पका नहीं और अभी तक पेड़ों पर है और पीरूल से ही जंगलों में आग लगती है। यह पेट्रोल की तरह काम करता है और पूरे जंगल को तबाह कर देता है। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में पीरूल गिरा भी है उसे फायर सीजन की शुरूआत में ही एकत्र कर कंट्रोल बर्निंग के जरिए जला दिया गया था। ताकि जंगलों में आग की घटनाओं को रोका जा सके.इस बार लॉकडाउन भी एक बहुत बड़ा कारण है जिससे मानवजनित आग की घटनाओं को रोकने में मदद मिली है और अभी तक ऐसी कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है। वहीं जानकारों और विशेषज्ञों का भी कहना है कि बारिश और लॉक डाउन से वनाग्नि की घटनाओं में रोकथाम में मदद मिली है और साथ ही लोग वनाग्नि को लेकर जागरूक भी हुए है। वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर और विशेषज्ञ डॉ प्रमोद उनियाल का कहना है कि मौसम और लॉकडाउन के साथ ही इसका मुख्य कारण लोगों में जागरूकता भी है। पहले शाम के समय जब लोग घास फूस जलाते थे। उससे आग के बढ़ने का सबसे अधिक खतरा होता था, अब लोग ऐसा नहीं कर रहे है। इससे इस तरह की घटनाओं को रोकने में बड़ी मदद मिली है।