* मध्य प्रदेश के सियासी समर के बीच यह सवाल उठाने लगा कि आखिर भाजपा नेतृत्व और ज्योतिरादित्य सिंधिया होली के दिन सुबह इतनी जल्दी में क्यों थे , कि शाम होते -होते फिर आखिर इतने ढीले क्यों पड़ गए ?
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। होली के दिन मध्य प्रदेश की राजनीती जिस तेजी से बदल रही थी ,एक बार को उससे लगने लगा था कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार मंगलवार रात से ज्यादा नहीं चल पायेगी। दिल्ली से लेकर बेंगलुरु तक जिस तेजी से घटनाक्रम बदल रहे थे, उससे साफ था कि कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई है। सुबह ज्योतिरादित्य सिंधिया जिस प्रकार से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलते हैं। उसके तुरंत बाद उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होती है। इस मुलाकात के बाद खबरें आने लगीं कि ज्योतिरादित्य शाम को बीजेपी का दामन थाम लेंगे। इसी बीच ज्योतिरादित्य का कांग्रेस से इस्तीफा सामने आता है। ज्योतिरादित्य के इस्तीफे के कुछ घंटों बाद ही कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे सामने आने लगे। देखते-देखते इन विधायकों की संख्या 22 तक पहुंच गई। इसके बाद तो साफ हो गया कि अब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार सिर्फ कुछ घंटों की ही मेहमान है।
शाम होते-होते क्यों धीमी हो गई सरकार गिराने की मुहिम
लेकिन शाम होते होते बीजेपी और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों की रफ्तार धीमी पड़ने लगी। सबसे पहले ये खबर आई कि ज्योतिरादित्य सिंधिया फिलहाल बीजेपी में शामिल नहीं हो रहे हैं। उसके बाद अचानक मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन जिनके आनन-फानन में भोपाल आने की खबरें आ रहीं थी। अब वह लखनऊ में ही रुकेंगे। उन्होंने फिलहाल लखनऊ से भोपाल वासपी का अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया है।
रफ्तार धीमी होने की ये वजह तो नहीं?
इस बीच सवाल ये उठने लगा कि आखिर जो बीजेपी नेतृत्व और ज्योतिरादित्य सिंधिया होली के दिन सुबह इतनी हड़बड़ी में थे, वो शाम होते-होते आखिर इतने ढीले क्यों पड़ गए? क्या ज्योतिरादित्य का प्लान कुछ कमजोर पड़ने लगा या अजीत पवार कांड के बाद बीजेपी कुछ भी बड़ा करने से पहले सबकुछ एक बार और चेक कर लेना चाहती थी। क्योंकि शाम होते-होते बीजेपी नेता अपने ही विधायकों को कमलनाथ से बचाते दिखे, जबकि कांग्रेस नेता ये दावा करने लगे कि जिन 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया है वो उन्हें मना लेंगे। ऐसे में अगर कांग्रेस अपने बागियों में से आधे विधायकों को भी मना लेती है तो मध्य प्रदेश का सियासी समीकरण एक बार फिर बदल जाएगा।