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माता अमृतानन्दमयी देवी (मठ) ने कोरोना-पीड़ित लोगों की सहायतार्थ दी 13 करोड़ रु. की दानराशि। पूरी खबर जानने के लिए पढ़े   

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-दस करोड़ रुपये पीएम केयर कोष और तीन करोड़ सीएमडीआर कोष में दिया 

(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

देहरादून। माता अमृतानन्दमयी मठ ने आज, कोविड-19 का सामना व रोकथाम करने की दिशा में सहायता हेतु व वायरस द्वारा शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से प्रभावित लोगों को राहत पहुँचाने के लिए तेरह करोड़ रुपयों (1.7 मिलियन यू एस डॉलर्स) दानराशि देने की घोषणा की। इसके अतिरिक्त, कोच्चि स्थित अमृता इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज(अमृता हॉस्पिटल) कोविड-19 के रोगियों का मुफ्त उपचार भी उपलब्ध कराएगा। दस करोड़ रूपये केंद्रीय सरकार के पीएम केयर कोष को और तीन करोड़ रुपये केरल राज्य-सरकार के मुख्यमंत्री-आपदा-राहत-कोष को दिए जायेंगे।  मठ द्वारा जारी अम्मा के सन्देश में अम्मा ने कहा है कि, सम्पूर्ण विश्व को पीड़ा से दुखी और आहत देख कर, अम्मा का हृदय बहुत दुःखी है। आइये, हम सब इस महामारी के चलते मृत्यु का ग्रास बने लोगों की आत्मा की शांति और उनके शोक-संतप्त मित्रों व परिजनों की मानसिक शान्ति हेतु व सम्पूर्ण विश्व की शान्ति तथा ईश्वर की कृपा के लिए प्रार्थना करें। अम्मा के कहने पर, अमृता विश्वविद्यापीठम तथा अमृता हॉस्पिटल ने एक मेंटल हेल्थ हाॅटलाइन (04762805050) शुरू की है जहाँ इस महामारी के कारण तनाव एवं चिंताग्रस्त या विषाद-ग्रस्त लोग, मुफ्त सहायता हेतु कॉल कर सकते हैं। गत सप्ताह में, अम्मा ने सार्वजानिक रूप से, डॉक्टरों, मनोचिकत्सकों तथा मनोरोग-विशेषज्ञों को काउन्सलिंग के लिए थोड़ा समय निकालने के लिए प्रार्थना की थी।

अम्मा ने कहा था कि, इस समय काउंसलिंग सेवा की आवश्यकता है।पया डॉक्टर, मनोरोग-विशेषज्ञ एवं मनोचिकित्सक, अम्मा की इस अपील पर ध्यान दें। चाहे आप आस्तिक हैं या नहीं, प्रतिदिन एक-दो घंटे उन लोगों को मुफ्त काउंसलिंग देने के लिए निकालिये, जिन्हें इसकी सख्त जरूरत है। कई दशकों से अम्मा मानव-मात्र से अपनी जीवन-शैली में परिवर्तन ला कर, प्रकृति के साथ बेहतर तारतम्य स्थापित करने पर बल देती रही हैं और चेतावनी भी देती रही हैं कि ऐसा न किया गया तो परिणाम होगा..प्राकृतिक आपदाओं व बीमारियों में वृद्धि। अम्मा ने कहा कि, ’मनुष्य ने प्रकृति के साथ जैसा स्वार्थपूर्ण व्यवहार किया है, अब वो महामारियों के रूप में उसे वापस मिल रहा है। हमें यह भाव उत्पन्न करना होगा कि हम प्रकृति के दास के अतिरिक्त कुछ भी नहीं। हममें विनम्रता, आदर तथा दास्य भाव होना चाहिए। कम से कम अब तो हम प्रकृति के सामने अपने अहंकार का प्रदर्शन बंद करें। अब प्रकृति की शक्तियों के सामने झुकने का समय आ गया है। समय आ गया है कि अब हम प्रकृति के प्रति किये गए अपराधों के लिए क्षमा मांगें। अब प्रकृति के प्रति लापरवाही का यह भाव त्यागने का समय आ गया है कि वो सब सहती जाएगी, कष्ट सह कर भी हमें सब अपमान-तिरस्कारों के लिए क्षमा करती जाएगी। प्रकृति अब हमें आदेश दे रही है कि उठो, जागो और देखो। मानव-मात्र को जगाने के लिए, प्रकृति कोविड-19 के रूप में, मानो जोर से अलार्म की घंटी बजा रही है।’

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