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पत्नियों से पीड़ित पुरुषो ने लगाई महिला हेल्प लाइन से गुहार कि मुझे मेरी बीवी से बचाओ। आखिर क्या है माज़रा ? जांनने के लिए टैब करे 

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( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

देहरादून। भारत सरकार महिला सशक्तिकरण को लेकर काफी सज़ग है। भारतीय समाज में अवधारणा है कि महिला की बराबरी का बर्ताव न किये जाने की। जिसका प्रमाण है महिलाओ में सशक्तिकरण के लिए सरकार , समाज़ स्तर पर सामाजिक संस्थाओ द्वारा लगातार अभियान चलाये जाना। भले ही अभियान से जुड़े लोग भी आहात हो ,पर अपने एनजीओ ,अपने रुतवे को लेकर लगातार अभियान चलाये जाते है।  देहरादून के महिला हेल्पलाइन के आंकड़े बताते हैं कि बहुत से मामलों में महिलाएं उत्पीड़न में भी पुरुषों को टक्कर दे रही हैं।  ऐसे मामले अपवाद स्वरूप इक्का-दुक्का नहीं हैं बल्कि नियमित रूप से आते हैं।  बीते ढाई साल में महिला हेल्पलाइन में पुरुषों ने अपनी पत्नियों के ख़िलाफ़ 900 से ज़्यादा शिकायतें की हैं। वैसे तो महिला हेल्प लाइन में केवल महिलाओं के प्रति हुए घरेलू हिंसा और अन्य अपराधों को लेकर शिकायतें दर्ज की जाती हैं लेकिन अब महिला हेल्पलाइन में ऐसे भी मामले आ रहे हैं जिसमें पति अपनी पत्नी द्वारा उत्पीड़न की शिकायतें कर रहे हैं।  जी हां देहरादून की महिला हेल्प लाइन में पिछले ढाई साल में 900 से अधिक ऐसे मामले आए हैं। 
हालांकि ऐसा नहीं है कि महिलाओं द्वारा पतियों का कथित उत्पीड़न ज़्यादा हो रहा है।  बीते ढाई साल में देहरादून महिला हेल्पलाइन में महिला उत्पीड़न की 3700 शिकायतें मिली हैं। 


पारिवारिक विवाद से विवाहेतर संबंध की शिकायतें
महिला हेल्पलाइन की सीओ पल्लवी त्यागी बताती हैं कि महिला हेल्पलाइन में आने वाली पुरुषों की ज़्यादातर शिकायतें शिकायतें पारिवारिक विवादों के साथ पति-पत्नी के आपसी सामंजस्य न बनने को लेकर होती हैं। बहुत से मामले तो महिला के सास-ससुर न बनने के कारण विवाद का रूप ले लेते हैं लेकिन कुछ केस पत्नी के विवाहेतर संबंधों के भी आए हैं।  पल्लवी त्यागी कहती हैं कि जिन भी पुरुषों ने महिला हेल्पलाइन में शिकायत की है वह उन्हें बुलाकर उनकी काउंसिलिंग करवाते हैं और कोशिश करते हैं कि बातचीत से मामला सुलझ जाए।  लेकिन समझौता न होने की स्थिति में मामले को थाने में ट्रांस्फ़र कर दिया जाता है। 

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