(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। मध्य प्रदेश में आज जो राजनितिक परिदृश्य चल रहा है। राजीनीतिक गलियारे में कोई पहली बार नहीं हो रहा है ऐसा मानना है राजीनीतिक धुरंधरों का। जी हाँ ,राजीनीति के पुरोधाओं की माने तो ऐसी कमोवेश पुनरावृति पहलर उत्तराखण्ड में केंद्र सरकार द्वारा की जा चुकी है। “मध्य प्रदेश में उत्तराखंड दुहराये जाने पर”आखिर क्या कहा किशोर उपाध्याय ने,आइये जानते है किशोर की कलम से ! “ तृतीय_स्कन्ध ” में —————–
#तृतीय_स्कन्ध#
अपने जनकों को अनोखी श्रद्धांजलि,
ज्योतिरादित्य व विजय बहुगुणा।
17 मार्च, 2016 को विधान सभा का बजट सत्र चल रहा था और हेमवती नन्दन बहुगुणा जी की पुण्यतिथि भी।राजनैतिक वातावरण बोझिल सा था, हवाओं में ठण्डक थी, हरीश रावत जी को मुख्यमंत्री बनाने और हरीश-विजय-साकेत में सामंजस्य बन सके, उस मुहीम में मैं भीषण ठण्ड का शिकार हो गया था।मैंने श्री हरीश रावत को 3 महीने पहले अवगत करा दिया था कि चिन्ता न करो, आप जल्दी ही मुख्यमंत्री बन जाओगे।हरीश-विजय-साकेत की यह मीटिंग मैंने अपने एक विश्वस्त साथी के माध्यम से फिरोजशाह रोड स्थित श्री बहुगुणा के एक निकट सम्बन्धी के यहाँ 30 जनवरी की रात को करवायी थी, दिनभर अच्छी गर्मी थी, लेकिन रात को भयंकर ठण्ड हो गयी, और मैं उसका शिकार हो गया।मुख्यमंत्री जी के शपथ ग्रहण के बाद मुझे सीधे अस्पताल भर्ती होना पड़ा।
आज भी मुझ पर उसका असर है।
ख़ैर! मैं 17 मार्च, 2016 की बात कर रहा हूँ, राजीव भवन में श्री हेमवतीनन्दन बहुगुणा जी को श्रद्धांजलि कार्यक्रम के बाद मैंने अपने कुछ साथियों से राजनैतिक गतिविधियों की टोह ली, उन्होंने बताया कि पुलिस लाईन में हेलिकॉप्टर कुछ सामान के साथ उतरा, जो कि दिल्ली से आया था।
उस समय मैंने मीडिया को बताया भी था, मुख्यमंत्री जी को भी बताया।
मैं विधान सभा गया और जिन-जिन विधायकों पर शक की सुई थी, उन कई विधायकों को भी मिला, लेकिन उन्होंने कुछ भी ज़ाहिर नहीं होने दिया।
हल्की-हल्की अविश्वास की लहरें तैर रहीं थीं कि कुछ सज्जनों की गाड़ियों की डिक्कियों में कुछ बैग विधान सभा परिसर में डाले गये, लेकिन, अगर यह सही है तो सरकार का Intelligence विभाग तो सक्रिय रहा होगा।
भाजपा अत्यन्त सक्रिय थी, उन्होंने विधान मण्डल दल के नेता व प्रदेश अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी एक ही नेता के सुपुर्द पहले ही कर दी थी, हमें उस रणनीति को समझना चाहिये था, लेकिन हम समझ नहीं पाये।
क्योंकि सरकार गिराने की एक बार पहले भी गम्भीर कोशिश की गयी थी।
ज्योतिरादित्य ने उसी दिन दल-बदल किया, जिस दिन माधव राव सिन्धिया जी की पुण्यतिथि थी,
विजय भाई ने भी हेमवती नन्दन जी की पुण्यतिथि का अगला दिन चुना।
अपने पूर्वजों/जनकों को श्रद्धांजलि देने का अनोखा अन्दाज़?
क्रमश:…अगले स्कन्ध में. …..