( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
जोशीमठ। राज्य सरकार एवं देवस्थानम बोर्ड द्वारा 1 जुलाई से चार धाम यात्रा शुरू करने का ब्रह्म कपाल तीर्थ पुरोहित पंचायत ने विरोध किया है । इस संदर्भ में आज तीर्थ पुरोहितों की टेली कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गोष्ठी आयोजित की गई , जिसमें निर्णय लिया गया की ब्रह्म कपाल मोक्ष धाम में तीर्थ पुरोहित श्राद्ध संबंधी कोई भी कार्य नहीं करेंगे। ब्रहमकपाल तीर्थपुरोहित, पंचायत के अध्यक्ष उमेश सती की अध्यक्षता में टेली कॉन्फ्रेंसिंग आयोजित की गई।
कांनफ्रेंस की जानकारी देते हुए प्रवक्ता डा बृजेश सतीने बताया कि राज्य सरकार एवं देवस्थानम बोर्ड द्वारा 1 जुलाई से आयोजित यात्रा के विरोध का निर्णय लिया है। कहा कि पंचायत देवस्थानम बोर्ड के निर्णय मानने के लिए बाध्य नहीं है ।
उन्होंने कहा कि संबंधित प्रकरण माननीय न्यायालय में विचाराधीन है। इसके अलावा सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि ब्रहमकपाल में आने वाले यात्रियों का पिंडदान, तर्पण एवं हवन आदि कार्य संपादित नहीं किए जाएंगे ।यह भी निर्णय लिया गया जब तक स्थितियां सामान्य नहीं होती हैं तब तक मोक्ष धाम में श्राद्ध संबंधी कार्य किया जाना संभव नहीं होगा। एक जुलाई से होने वाली यात्रा के विरोध में ज्ञापन सौंपते हुए तीर्थ पुरोहित उप जिलाधिकारी जोशीमठ को ज्ञापन भी सौपा।कांफ्रेंसिग में पंचायत के अध्यक्ष उमेश सती, महासचिव मदन कोठियाल , राकेश सती , जगदंबा हटवाल, संजय हटवाल , संजय सती, विवेक,नवनीत,अमित सती, दीनदयाल कोटियाल, , मुकेश एवं प्रवक्ता डॉ बृजेश सती शामिल हुए। कांफ्रेसिग में, जोशीमठ, मैठाणा, श्रीनगर व देहरादून से शामिल हुए तीर्थ पुरोहित।
बदरी नाथ यात्रा महात्म्य
बदरीनाथ यात्रा के बारे में यह जानना जरूरी है कि जब श्रद्धालु बदरीनाथ की यात्रा पर आता है तो यहां पर दो कार्य मुख्य होते हैं ।पहला मोक्षधाम ब्रह्म कपाल में पितरों का श्राद्ध एवं नारायण का दर्शन। ऐसी मान्यता है श्रद्धालु पहले ब्रह्म कपाल तीर्थ में अपने पितरों केमोक्ष के लिए श्राद्ध एवं तर्पण करते हैं और इसके बाद नारायण का दर्शन का महात्मय है । लेकिन ब्रहमकपाल तीर्थ में श्राद्ध कार्य न किए जाने से श्रद्धालुओं की यात्रा अधूरी रहेगी।