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उत्तराखण्ड में बाघ के गले से छूटा रेडिओ कॉलर ,अफसरों में मचा हड़कंप ,ट्रेस कर पाना हुआ मुश्किल। आखिर क्यों ? टैब कर जाने 

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( ब्यूरो, न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

देहरादून।  राजाजी टाईगर रिजर्व पार्क में लाये गए एक बाघ का रेडिओ कॉलर उसके गले से छूट कर गिरने से पार्क के अधिकारियो के बीच हड़कंप मच गया है। दरअसल इस बाघ को कार्बेट से राजाजी पार्क के भीतर ही बनाए गए नेचुरल बाड़े में रखा गया था।  लेकिन, सोमवार को पता चला कि बाघ बाड़े में नहीं है।  बाडे़ में केवल उसका कॉलर छूटा हुआ मिला है।  राजाजी टाइगर रिजर्व के लिए बिल्कुल नए इस बाघ का कॉलर छूट जाना गंभीर मामला माना जा रहा है।  बाघ के गले में रेडियो कॉलर लगे होने से राजाजी के लिए नए इस मेहमान की मॉनेटेयरिंग करना अब नामुमकिन सा है।  टाइगर कहां गया, किस हालत में है विभाग के पास अब ये जानने का कोई जरिया नहीं है।  बाघ कहीं पार्क क्षेत्र से बाहर आबादी की ओर रूख न कर जाए, ये विभाग के लिए बड़ी चुनौति होगी। राजाजी टाइगर रिजर्व के मोतीचूर वाले हिस्से में सालों से दो बाघिन अकेली रह रही थी।  इन बाघिनों का वंश बढ़ाने के लिए यहां कार्बेट से लाकर पांच बाघ छोड़ने की योजना पर काम चल रहा है।  इसी महीने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट एक बाघिन को यहां शिप्ट कर चुका है।  आठ दिसंबर को कार्बेट में दूसरा बाघ भी ट्रेंकुलाइज कर उसे रेडियो कॉलर पहनाकर राजाजी टाइगर रिजर्व लाया गया था।  जंगल में छोड़ने से पहले उसे जंगल में ही बनाए गए एक नेचुरल बाड़े में रखा जाता है।  ताकि, वह स्थानीय जलवायु के अनुकूल अपने को एडजेस्ट कर ले। फॉरेस्ट ऑफिसियल के पास इसका कोई जवाब नहीं है ।


राजाजी टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर डीके सिंह का कहना है कि बाघ के गले से जो कॉलर छूट गया था, उस पर बाघ के बाल लगे हुए हैं।  इन बालों को  लैब भेजा जाएगा, जिससे इस बाघ का डीएनए सुरक्षित किया जा सके।  राजाजी टाइगर रिजर्व के इसी क्षेत्र में अकेली रह रही दो बाघिनों में से एक बाघिन टीवन  पहले ही मिसिंग चल रही है।  इस बाघिन का सितंबर के बाद से कोई पता नहीं चल पाया है।  पार्क क्षेत्र में लगाए गए दर्जनों कैमरा ट्रेप में भी इसकी लोकेशन नहीं मिल रही है।  बाघिन के साथ हुआ क्या, बाघिन कहां लापता हो गई फॉरेस्ट ऑफिसियल के पास इसका कोई जवाब नहीं है। 
सिंगनल से ही बाघिन की मौजूदगी का अंदाजा लगा रहा है  पार्क से मिले उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, पार्क में पहले से ट्रांसलोकेट की गई टाइगर्स भी अभी ठीक से अपने को पार्क में एडजेस्ट नहीं कर पाई है।  उसकी मूवमेंट अभी भी एक बहुत कम दायरे में सिमटी हुई है।  नियमानुसार, एक निश्चित समय अंतराल में इसकी स्पॉट साईटिंग अनिवार्य होती है, ताकि पता लग सके बाघिन स्वस्थ है या नहीं।  लेकिन पार्क प्रशासन स्पॉट साईटिंग भी नहीं कर पाया है।  वो केवल बाघिन के गले में लगे रेडियो कॉलर से मिल रहे सिंगनल से ही बाघिन की मौजूदगी का अंदाजा लगा रहा है। 

  

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