( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नैनीताल। उत्तराखण्ड की बदहाल स्वस्थ्य व्यवस्था पर सही इलाज न मिलाने की वज़ह से जच्चा – बच्चा की मौत की झकझोर देने वाली खबरे झहन को जहा हिला देती है वही दूसरी ओर सरकार लगातार दावे कराती है कि स्वस्थ्य सेवाएं बेहतर हो रही है। दोनों ही बाते सही हो सकती है लेकिन वास्तव में उत्तराखंड का स्वास्थ्य ढांचा कैसा है ?अब इसका सही-सही जवाब मिल पाएगा क्योंकि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार से राज्य के सभी अस्पताल और हेल्थ सेंटरों को लेकर 34 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि राज्य के अस्पतालों की क्या दशा है? उनमें कितने डॉक्टर हैं, कितने डॉक्टरों की कमी है? कितने ब्लड बैंक हैं? इन अस्पतालों में क्या सुविधा है? दवा, बिजली, पानी की क्या व्यवस्था है? चीफ जस्टिस की कोर्ट ने हफ़्ते में पूरी रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत किसी से छुपी हुई नहीं है। स्वास्थ्य केंद्रों की हालत बदहाल है, कहीं डॉक्टर नहीं हैं तो कहीं अन्य सुविधाएं। देहरादून निवासी शांति प्रसाद भट्ट ने एक जनहित याचिका दाखिल कर टिहरी में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की मांग करते हुए कहा है कि अस्पताल सिर्फ रेफ़रल सेंटर बने हुए हैं।
शांति प्रसाद भट्ट ने याचिका में कहा है कि टिहरी के अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं पीएचसी-सीएचसी सेंटरों में भी कई स्थानों में ताले लगे हैं। साथ ही नर्स, फार्मासिस्टों की कमी के साथ दवाओं की भी कमी है. याचिका में कोर्ट से इन अस्पतालों में सुविधाओं के विस्तार की मांग की गई है।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इसका स्कोप बढ़ा दिया और सरकार से पूरे उत्तराखंड के अस्पतालों की रिपोर्ट देने को कहा. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी कहते हैं कि हाई कोर्ट ने जिन बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है वह पूरा चार्ट बनाकर हाई कोर्ट के निर्देश के बाद कोर्ट में दिया गया था। इस आदेश के बाद उम्मीद है कि पहाड़ की स्वास्थ्य सुविधाएं ठीक होंगी।