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सूफी संत बदरुद्दीन की मुगलकालीन मजार का  जीर्णोद्धार बरनावा में एएसआई ने किया शुरू। आखिर कौन है संत ? जाने 

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● बरनावा के महाभारत कालीन टीले के शीर्ष पर मौजूद है सूफी संत की  मजार का गुंबद ।
● शहजाद राय शोध संस्थान ने 2012 में दिया था संस्कृति मंत्री को प्रस्ताव।
( सुनील तनेजा )
बागपत ।
महाभारत कालीन बरनावा के लाखामंडल टीले के शीर्ष पर मौजूद जीर्ण  हालत में पड़े सूफी संत बदरुद्दीन शाह बरनावी की मुगलकालीन मजार के गुंबद का जीर्णोद्धार आखिरकार एएसआई  की टीम द्वारा प्रारंभ कर दिया गया है। गौरतलब है कि सन 2012 में शहजाद राय शोध संस्थान के प्रस्ताव पर महाभारत कालीन लाखा मंडप टीले का काल निर्धारण की दृष्टि से विस्तृत उत्खनन का कार्य किया गया, उस समय भी इस मुगलकालीन सूफी संत की मजार के संरक्षण की मांग शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक इतिहासकार डॉ अमित राय जैन द्वारा उठाई गई थी। अब जाकर उस मांग पर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की आगरा सर्किल टीम ने  जीर्णोद्धार का काम शुरू कर दिया है, जो बड़ी तेजी से चल रहा है । बरनावा में चल रहे जीर्णोद्धार के काम के लिए करीब 3 दर्जन मजदूरों व प्रशिक्षित इंजीनियरों की टीम पिछले हफ्ते यहां पहुंच गई थी, जिन्होंने बहुत तेजी से सबसे पहले यहां की साफ सफाई की और टीले पर मौजूद मुगलकालीन स्थापत्य कला के अद्भुत नमूने के अवशेष इकट्ठा किए और लाल चित्तीदार पत्थर से बनी मुगलकालीन मजार के ऊपर उसी प्रकार के मुगलकालीन डिजाइन की अनुकृति बनाकर उसकी मरम्मत का काम कर रहे है।

इस संबंध में इतिहासकार डॉ अमित राय जैन का कहना है कि जनपद बागपत में आजाद हिंदुस्तान होने के बाद पहली बार किसी प्राचीन कला के नमूने के जीर्णोद्धार का काम एएसआई द्वारा किया जा रहा है, जो कि हमारे क्षेत्र के लिए प्रसन्नता की बात है। क्योंकि बागपत जनपद पूरे उत्तर प्रदेश में ही नहीं पूरे विश्व में सिनौली उत्खनन के बाद इतिहासकारों व पुरातत्व वेताओं की दृष्टि में छाया हुआ है। शहजाद राय शोध संस्थान का पिछले दो दशकों का सर्वेक्षण का कार्य करने के बाद करीब 100 पुरातत्व से जुड़े हुए प्राचीन स्थल जनपद बागपत और आसपास के क्षेत्रों में सामने आए हैं, मेरठ सर्किल घोषणा के बाद उम्मीद जगी है कि जनपद बागपत में और ज्यादा संरक्षण का कार्य आगे बढ़ेगा। कोताना में स्थित प्राचीन शिव मंदिर, बाल्मीकि आश्रम बालेनी, पुरा महादेव मंदिर पुरा, बरनावा की ऐतिहासिक बड़ी मस्जिद, बिराल का हर्ष कालीन ऐतिहासिक षटकोण प्राचीन तालाब आदि दर्जनों स्थान ऐसे हैं, जहां पर एएसआई को तुंरत अविलंब संरक्षण का कार्य किया जाना चाहिए। नहीं तो यह सब प्राचीन संस्कृति के नमूने नष्ट हो जाएंगे। डॉ अमित राय जैन ने बताया कि जनपद बागपत की ऐतिहासिक स्थलों की संपूर्ण सूची व विस्तृत रिपोर्ट बनाकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के केंद्रीय कार्यालय को भी भेजी गई है और प्रयास किया जाएगा कि जनपद बागपत के अन्य स्थानों का संरक्षण, संवर्धन, जीर्णोद्धार व उत्खनन  का कार्य भी प्रारंभ कराया जाए।

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