( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड में पिछले दिनों आए भूकंप के झटको के बाद एक बार फिर से आपदा की तैयारियों और अवेयरनेस पर मुद्दा उठ खड़ा हुआ है। वैज्ञानिक भी इसको लेकर अब चिंता जताने लगे है। दरअसल भूकंपीय दृष्टिकोण में उत्तराखंड जोन 5 में है और इस हिमालयी राज्य में अक्सर भूकंप के हल्के झटके आते हैं। इसी को लेकर स्कूली बच्चों के लिए वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक ऑनलाइन सेशन ऑर्गेनाइज़ किया था। इसमें प्रदेश की भौगोलिक स्थिति और सेस्मोमीटर को लेकर टीचर्स और बच्चों को जानकारी दी गई। वैज्ञानिकों ने माना कि अब भी भूकंप के पूर्वानुमान की जानकारी नहीं जुटाई जा सकती इसलिए जागरुकता से ही बचाव संभव है। पूर्वानुमान मुश्किल
केंद्रीय विद्यालय आईटीबीपी सीमाद्वार में पहुंचे वाडिया हिमालयन भूविज्ञान ससंस्थान के डायरेक्टर कालाचांद सांई ने बताया कि अब भी हमें प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को समझने लिए काफ़ी काम करना है। भूकंप जैसी परिस्थिति का पूर्वानुमान बहुत मुशिकल है और इसीलिए भूकंप की स्थिति में क्या करना चाहिए, इसे लेकर जागरुकता बहुत ज़रूरी है।
वैज्ञानिक अजय पॉल भी कमोबेश यही बात कहते हैं। वह कहते हैं कि वैज्ञानिकों का मानना है कि देश में अभी भूकंप जैसी स्थिति से कैसे निपटा जाए, इसे लेकर अवेयरनेस की काफ़ी कमी है। इसलिए ग्राउंड लेवल पर काम होना बहुत ज़रूरी है ताकि बच्चों को भूकंप के बारे में स्कूल लेवल पर ही पता चल सके। वह कहते हैं कि इसलिए बच्चों के लिए भूकंप में बचाव से संबंधित वर्कशॉप होना बहुत ज़रूरी है। अब बार बार आ रहे इन झटकों से जहां हमें सतर्क होने की ज़रूरत है, वहीं ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अवेरनेस प्रोग्राम पर भी काम होना बेहद ज़रूरी है।