Corbett National park Dehradun Haridwar nainital Raja ji naitional park Slider Uttarakhand

दो प्रमुख नेशनल पार्को में वन्यजीवों की कैपेसिटी के आंकलन की कवायद शुरू। आखिर कब से ? जाने 

Spread the love

( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून।
उत्तराखंड में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष को देखते हुए अब राज्य के दो प्रमुख नेशनल पार्कों कार्बेट और राजाजी की कैपेसिटी के आकलन की कवायद शुरू हो गई है। कार्बेट नेशनल पार्क 521 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। साल 1936 में स्थापित यह नेशनल पार्क पौड़ी और नैनीताल जिलों में बंटा हुआ है। यूपी से भी इसकी सीमाएं लगती हैं। दूसरी ओर राजाजी नेशनल पार्क 842 वर्ग किलोमीटर में फैला है और चारों ओर से आबादी क्षेत्र से घिरा होने के कारण न सिर्फ मानव-वन्यजीव संघर्ष, बल्कि अवैध शिकार दृष्टि से भी बेहद संवेदनशील है। यह पार्क हरिद्वार, पौड़ी और देहरादून तीन जिलों में फैला हुआ है।


कार्बेट पार्क टाइगर के कारण तो राजाजी एशियाई हाथियों के लिए मशहूर है। बीते दशकों में दोनों पार्कों का क्षेत्रफल आबादी के दबाव और तमाम गतिविधियों के कारण कम ही हुआ है, बढ़ा नहीं है। इसके विपरीत वाइल्ड लाइफ के लिए रिजर्व किए गए इन पार्कों में हाथी और बाघों की संख्या में अच्छी खासी ग्रोथ हुई है। वर्ष 2018 में जारी हुए ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन के अनुसार, उत्तराखंड में 2014 में बाघों की संख्या 340 थी, जो 2018 में बढ़कर 442 हो गई है। राजाजी टाइगर रिजर्व में स्थानीय स्तर पर 2017 में की गई गणना के अनुसार राजाजी में भी 34 से अधिक बाघ मौजूद थे। इसी तरह पूरे उत्तराखंड में हाथियों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। हाथी गणना के इसी महीने जारी आंकडों के अनुसार उत्तराखंड में 2017 में 1839 हाथी थे तो इनकी संख्या बढ़कर अब 2026 पहुंच गई है। कार्बेट टाइगर रिजर्व में जहां 1224 हाथी हो गए हैं तो राजाजी टाइगर रिजर्व में इनकी संख्या बढ़कर 311 हो गई है। फूड चेन में शीर्ष पर मौजूद इन जानवरों की संख्या में बढ़ोत्तरी के साथ ही अन्य वाइल्ड लाइफ भी बढ़ी है और यही समस्या की जड़ में है। दोनों पार्कों के आबादी क्षेत्र से लगा होने और वन्यजीवों की संख्या में लगातार वृद्धि होते जाने के कारण मैन एनिमल कन्फ्लिक्ट बढ़ रहा है। हाथी, बाघ, तेंदुआ जैसे जानवर आबादी क्षेत्रों में घुस आते हैं और इसके चलते मानव वन्य जीव के बीच संघर्ष होता है।


इसके अलावा अवैध शिकार भी एक बड़ी समस्या है। राज्य बनने से लेकर मार्च, 2019 तक उत्तराखंड में पोचिंग और एक्सीडेंट में 22 बाघ मारे जा चुके थे। इसके अलावा 19 बाघों की मौत का कारण पता नहीं चल पाया। चार बाघों को मानवजीन के लिए खतरनाक मानते हुए मारने के आदेश किए गए। इसी तरह करंट लगने, रोड एक्सीडेंट और पोचिंग के कारण 175 गुलदार मारे गए तो आतंक का पर्याय बने पचास गुलदार को आमदखोर घोषित करना पड़ा। करंट लगने, एक्सीडेंट और पोचिंग के चलते 123 हाथी भी मारे गए. एक हाथी को खतरनाक घोषित किया गया। 53 हाथी ऐसे मरे जिनकी मृत्यु का कारण ही पता नहीं लग पाया। इसके विपरीत सैकड़ों की संख्या में जंगली जानवरों के हमले में लोग भी मारे ग। .इससे अब एक बहस शुरू हो गई है कि क्या पार्कों में संरक्षण के चलते वन्य जीवों की संख्या क्षमता से अधिक होने लगी है जिसके चलते जानवर पार्क क्षेत्र से बाहर आकर आबादी क्षेत्र में घुस रहे हैं।


इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने अब राजाजी टाइगर रिजर्व और कार्बेट टाइगर रिजर्व की बाघ और हाथियों की कैरिंग कैपेसिटी की स्टडी कराने का फैसला लिया है। इसी हफ्ते हुई स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की मीटिंग में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई थीं । उत्तराखंड के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन राजीव भरतरी का कहना है कि चूंकि यह काम बेहद टेक्नीकल होगा इसलिए तय किया गया है कि एक निश्चित समय में वाइल्ड लाइफ इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया इसकी स्टडी कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।  

news1 hindustan
अब आपका अपना लोकप्रिय चैनल Youtube सहित इन प्लेट फार्म जैसे * jio TV * jio Fibre * Daily hunt * Rock tv * Vi Tv * E- Baba Tv * Shemaroo Tv * Jaguar Ott * Rock Play * Fast way * GTPL केबल नेटवर्क *Top Ten खबरों के साथ देखते रहे News 1 Hindustan* MIB ( Ministry of information & Broadcasting, Government of India) Membership
http://news1hindustan.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *