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एम्स ऋषिकेश में एच आई वी लोगो के उपचार की सुविधा होगी जल्द शुरू, नाको ने दी मान्यता। आखिर इसका किसको मिलेगा लाभ ? टैब कर जाने

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( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में एचआईवी संक्रमित लोगों के उपचार की सुविधा जल्द शुरू होगी। इसके लिए राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) ने एम्स को एआरटी सेंटर के तौर पर मान्यता दे दी है। एम्स प्रशासन के अनुसार इस केंद्र का विशेष लाभ उन लोगों को मिलेगा जो एचआईवी संक्रमित हैं और अब तक उन्हें इसके इलाज के लिए हल्द्वानी अथवा देहरादून जाना पड़ता था। गौरतलब है कि एचआईवी से संक्रमित लोगों का उपचार एंटी-रेट्रोवायरल थैरेपी (एआरटी) द्वारा किया जाता है। उत्तराखंड में अभी तक केवल दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून और सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल, हल्द्वानी को एआरटी सेंटर के तौर पर मान्यता दी गई थी, मगर अब एचआईवी संक्रमित लोगों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नाको ने एम्स ऋषिकेश को भी एआरटी सेंटर बनाने की अनुमति प्रदान कर दी है।


विशेषज्ञों के अनुसार असुरक्षित यौन संबंध, मदर टू चाइल्ड ट्रांसमिशन आदि कारणों से एचआईवी का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यह संक्रमण संबंधित व्यक्ति के लिए जानलेवा भी होता है। चिकित्सकों के अनुसार, मुहं के छाले, अचानक वजन कम होना, बुखार और लम्बे समय से दस्त की शिकायत एचआईवी संक्रमण के प्रमुख लक्षण हैं।


एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रविकांत का कहना है कि एचआईवी संक्रमण का मतलब जीवन का अंत नहीं है। उन्होंने बताया कि उचित चिकित्सकीय देखभाल के साथ एक एचआईवी संक्रमित व्यक्ति भी लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकता है। एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी (एआरटी) यदि सही समय पर ली जाए, तो एचआईवी संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है। लिहाजा यह चिकित्सा जीवन की गुणवत्ता और दीर्घायु दोनों को बढ़ाती है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के एक घटक, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नाको ने एम्स ऋषिकेश में  एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी सेंटर संचालित करने की अनुमति दे दी है। लिहाजा इस सुविधा के ऋषिकेश में शुरू होने से गढ़वाल मंडल के टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली और पौड़ी जनपदों के अलावा ऋषिकेश व आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले एचआईवी संक्रमित लोगों को चिकित्सा में विशेष लाभ मिल सकेगा।
सामुदायिक चिकित्सा विभाग एम्स की सहायक प्रोफेसर व नोडल अधिकारी (एआरटी) डा. मीनाक्षी खापरे ने बताया कि एआरटी उपचार क्लीनिकों में सुविधाओं के अभाव के चलते एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों को अभी तक इसके इलाज के लिए देहरादून और हल्द्वानी जाना पड़ता था। मगर अब उन्हें यह सुविधा एम्स में शुरू किए जा रहे सेंटर के माध्यम से सुगम हो सकेगी। उन्होंने बताया कि कोविड -19 की स्थिति सामान्य होते ही एचआईवी संक्रमित लोगों के इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश में स्वीकृत सेंटर में एआरटी क्लीनिक की सेवाएं विधिवत शुरू कर दी जाएंगी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी इसमें समन्वय स्थापित कर रही है। नोडल अधिकारी के अनुसार इसके संचालन के लिए काउंसलर, डेटा एंट्री ऑपरेटर सहित अन्य कर्मचारियों को दून मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षित किया जा चुका है। एचआईवी की जांच के लिए एम्स में शीघ्र ही इंटिग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आईसीटीसी) का संचालन भी शुरू किया जाएगा। जिससे एचआईवी संक्रमित मरीजों की जांच और इलाज एक ही स्थान पर किया जा सके।

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