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उत्तराखण्ड सरकार को न इंन्सान की परवाह है न जीव-जंतु और जंगल की। आखिर किसने कहां ? टैब कर जाने 

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-जौली ग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के खिलाफ सामने आई जनभावना के साथ है कांग्रेस
( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
दिल्ली/देहरादून ।
कांग्रेस के उतराखंड प्रभारी एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता देवेंद्र यादव ने देहरादून जौली ग्रांट एयरपोर्ट मामले में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आंदोलन इस बात का गवाह है कि उतराखंड में एक पेड़ का स्थानीय उतराखंडी के लिए प्राणों से भी ज्यादा महत्व है। जल, जंगल और जमीन उतराखंड के प्राण हैं। पर्यटन उद्योग की धूरी और यहां की खूबसूरती ही जंगल है लेकिन केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ कर देहरादून जौली ग्रांट के रनवे के विस्तार के लिए दस हजार पेड़ों को काटने और वन्य प्राणियों के लिए आरक्षित भूमि एयरपोर्ट को सौंपने पर आमदा है। इस सरकार को न इन्सान की परवाह है न जीव जंतुओं और जंगल की। कांग्रेस जनभावना का समर्थन करती है और इस विरोध में जनता के साथ है।


प्रदेश महामंत्री संगठन विजय सारस्वत के माध्यम से जारी बयान में यादव ने कहा कि भाजपा सरकार को जनभावनाओं और जंगल और उसमें रह रहे वन्य प्राणियों के प्रति जो जिम्मेदारी बनती है उसे निभाना चाहिए था लेकिन वो जनआवाज की अनदेखी कर रहे हैं। पर्यावरण संतुलन और वन्य प्राणियों तक की परवाह नहीं की जा रही। राजाजी नेशनल पार्क के इको सेंसटिव जोन के दस वर्ग किमी एरिया को एयरपोर्ट को सौंपने से हाथियों का कारिडोर ऐरिया समाप्त हो जाएगा। वन संपदा अमुल्य संपदा है। इसी संपदा में मौजूद दस हजार पेड़ों में खैर, सागोन, गुलमोहर सहित विभिन्न 25 किस्मों के वृक्ष  शामिल हैं, जिन्हें काट दिया जाएगा। सरकार के इस निर्णय के बाद शिवालिक एलिफेंट रिजर्व एरिया इससे प्रभावित होगा। श्री यादव ने कहा कि इस निर्णय के दूरगामी परिणाम होंगे। इस फैसले के कारण स्थानिय लोगों की आबादी से जंगली जानवरों का टकराव पहले से ्ययादा बढ़ जाएगा। जंगली जानवरों खासतौर से हाथियों की जीवन शैली और उनके प्रजनन पर इसका प्रभाव पड़ेगा। ऐसे फैसलों से प्रदेश के हर आदमी पर असर पड़ता है। एक पेड़ कटने का मतलब है हरियाली पर असर और हरियाली और वनों की वजह से ही पर्यटन और उससे जुड़ा रोजगार है। ये कदम स्थाई बेरोजगारी पैदा करने वाला भी है। यहां ये भी गौर करने वाली बात है कि ये एरिया सैसेमिक जोन-चार में आता है जोकि भूकंप के लिए लिहाज से अतिसंवेदनशील श्रेणी में है। ये प्रमाणित है कि खनन, जंगल कटाव इस संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं। फिर भी सरकार इस विस्तार को करने पर अड़ी हुई दिखाई देती है। जोकि उचित नहीं है। 


उन्होंने कहा कि देहरादून की थानो फारेस्ट रेंज में रहने वाले जीव जन्तुओं पर इस फैसले का बुरा प्रभाव पडना तय है, क्योंकि इस ऐरिया में तेंदुए, साही, जंगली बिल्लियां, जंगली सुअर, बाज, विशिष्ट प्रजातियों से आने वाले उल्लू और बाज, चिडियां, चींटीखोर तो रहते हैं ही बल्कि हाथियों की पनाहगाह के रास्ते भी यहीं से हैं। यदि सरकार ने अपना निर्णय नहीं बदला तो ये जंगली व्यवस्था और तानाबान छिन्न भिन्न हो जाएगा, पर्यावरण प्रेमी और पशु प्रेमी इसी को लेकर चिंतातुर हैं और इसी का हवाला दे रहे हैं। उतराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि कांग्रेस इस जनभावना का सम्मान करती है। कांग्रेस पार्टी उतराखंड और केंद्र की भाजपा सरकार की इस जिद भरे निर्णय के लिए कड़ी निंदा करती है और मांग करती है कि जो प्रश्र पर्यावरण संगठनों, स्थानिय लोगों द्वारा उठाए जा रहे हैं सरकार उनका जवाब दे उसके बाद ही कोई निर्णय ले। कांग्रेस पार्टी चिपकों आंदोलन की इस वीर भूमि से उठी विरोध की इस भावना के साथ है। हम फैसले का विरोध कर रहे संगठनों और समान विचार धारा वालों के साथ हैं।  

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