( ज्ञान प्रकाश पाण्डेय )
हरिद्वार। हाल ही में उत्तराखंड में पहाड़–मैदान को लेकर पैदा किए जा रहे विवाद पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत डॉक्टर रविंद्र पुरी महाराज ने गहरी चिंता व्यक्त की है। इस मुद्दे पर पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में उनके सान्निध्य में, शिक्षाविदों, समाजसेवियों,किसानोंऔर कारोबारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में इस कुचक्र की कड़ी निंदा करते हुए सभी ने प्रदेश की एकता और भाईचारे को बनाए रखने की अपील की। साथ ही, इस दिशा में सामूहिक रूप से काम करने के लिए एक समन्वय समिति गठित की गई, जिसके संयोजक के रूप में प्रोफेसर सुनील बत्रा को जिम्मेदारी सौंपी गई।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए श्रीमहंत डॉ रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि हम सब उत्तराखंड के निवासी हैं और हम सब उत्तराखंडी। उन्होंने कहा कि विधानसभा में हरिद्वार का पानी रोकने संबंधी बयान और टिहरी विस्थापितों को वापस भेजने की बातें अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं, जो राज्य की एकता को कमजोर करती हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड गुरुकुल नारसन से शुरू होता है। जिस तरह माणा या ओम पर्वत के व्यक्ति को अधिकार हैं, वैसे ही नारसन और मंगलौर के व्यक्ति को भी वही अधिकार प्राप्त हैं।

श्रीमहंत डॉ रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि पहले समाज को हिंदू–मुस्लिम के नाम पर बांटा गया और अब पहाड़–मैदान का विवाद खड़ा किया जा रहा है, जो अत्यंत खतरनाक प्रवृत्ति है। उन्होंने कहा कि हम सब उत्तराखंडी हैं और हमें किसी की बातों में आकर आपसी भाईचारा नहीं बिगाड़ना चाहिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी अच्छा कार्य कर रहे हैं। पहाड़–मैदान के नाम पर वैमनस्य फैलाना राज्य के विकास के लिए घातक है।
उन्होंने सुझाव दिया कि समन्वय समिति हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जैसे जिलों में जाकर जनता को जागरूक करेगी और स्कूल–कॉलेजों में विद्यार्थियों से संवाद स्थापित करेगी, क्योंकि शिक्षण संस्थाओं से ही प्रदेश और देश के भविष्य का निर्माण होता है।

बैठक में स्वामी दर्शन भारती ने कहा कि यह विवाद एक साजिश के तहत रचा जा रहा है ताकि राज्य को कमजोर किया जा सके। उन्होंने कहा उत्तराखंड का मुसलमान भी उत्तराखंडी है और उसे समान अधिकार प्राप्त हैं।
प्रो. सुनील बत्रा ने कहा कि यह राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने का प्रयास है। मूल निवास प्रमाण पत्र मिले या न मिले, हम सब उत्तराखंडी हैं। उन्होंने उत्तराखंड राज्य के संतुलित और सतत विकास की आवश्यकता पर जोर दिया।
डा. संजय माहेश्वरी ने कहा कि जब आरएसएस और भाजपा अखंड भारत की बात करते हैं, तब पहाड़–मैदान का भेदभाव उचित नहीं।





