* देश-विदेश से संत-महापुरुषों की भव्य उपस्थिति, चार महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित
( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। नासिरम वाली गली (भूपतवाला) में तीर्थ सेवा न्यास द्वारा स्थापित किए जा रहे विश्व सनातन महापीठ की उद्घोषणा एवं शिला पूजन का भव्य, गरिमामय और ऐतिहासिक आयोजन वैदिक विधि से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रातः 9 बजे वैदिक आचार्यों, गुरुकुल चौटिपुरा के ब्रह्मचारियों एवं आचार्य मंडल द्वारा हुआ। वैदिक मंत्रोच्चारण, हवन एवं शांति पाठ के साथ पूरा परिसर दिव्य वातावरण से गूंज उठा।

देश–विदेश से संत, महंत, धर्माचार्य एवं विद्वानों की उपस्थिति
इस आयोजन में भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विश्व के अनेक देशों से धर्माचार्य, महंत, संत, विद्वान, अखाड़ों के प्रतिनिधि, सनातन प्रेमी और हजारों श्रद्धालु एकत्र हुए।
विशेष तौर पर विभिन्न अखाड़ों के महामंडलेश्वरों, महंतों, सिद्ध–योगियों, आचार्यों, वेदवेताओं और धर्मप्रचारकों ने मंच पर एक साथ उपस्थित होकर कार्यक्रम को अतिविशिष्ट गरिमा प्रदान की।
सभी संत-महापुरुषों ने एक स्वर में कहा कि विश्व सनातन महापीठ आने वाली पीढ़ियों तक सनातन संस्कृति, धर्म, कला, ज्ञान, और सेवा को सुरक्षित रखने का वैश्विक केंद्र बनेगा।
हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति से कार्यक्रम हुआ ऐतिहासिक

प्रातः से ही श्रद्धालुओं का विशाल जनसैलाब उमड़ा रहा। हजारों की संख्या में उपस्थित जनसमूह ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।
हर व्यक्ति में महापीठ की आवश्यकता, उद्देश्य और वैश्विक मिशन को जानने की गहरी उत्सुकता दिखाई दी।
चार महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित – विश्व सनातन महापीठ की ओर से राष्ट्र के लिए संदेश
संत-सम्मेलन में तीर्थ सेवा न्यास और विश्व सनातन महापीठ की ओर से निम्नलिखित चार ऐतिहासिक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए—
1. गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाए।
भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आधारशिला गौ माता को संवैधानिक रूप से ‘राष्ट्र माता’ घोषित करने का प्रस्ताव।
2. भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून तत्काल लागू किया जाए।
राष्ट्र और समाज की स्थिरता–सुरक्षा के लिए कठोर और समान जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की मांग।
3. देश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू हो।
राष्ट्र की एकता, समानता और कानून की श्रेष्ठता के लिए एक समान नागरिक संहिता को लागू करने का प्रस्ताव।
4. देश में ‘एक देश – एक शिक्षा’ नीति लागू हो।






