( ज्ञान प्रकाश पाण्डेय )
हरिद्वार। दिल्ली की संसद के बारे में तो आप सब जानते हैं अब हरिद्वार में भी एक संसद बनने जा रही है।
जी, हां! लेकिन इस संसद में राजनीतिक बहसें या देश के फैसले नहीं होंगे बल्कि इसमें देशभर के धर्माचार्य धर्म, संस्कृति और आध्यात्म की चर्चा करेंगे। जिसकी लागत लगभग एक हज़ार करोड़ है। जोकि 100 एकड़ भूमि पर बनेगा ,जिसमे 50 एकड़ हरिद्वार और बाकि 50 एकड़ किसी अन्य प्रदेश में बनेगा।

विश्व सनातन महापीठ के अंतर्गत बन रही सनातन संसद में महापीठ का प्रमुख आकर्षण होगा विश्व का पहला सनातन संसद भवन, जो धर्म, नीति और संस्कृति का वैश्विक मंच बनेगा। यहाँ विश्व के साधु-संत, आचार्य, धर्माचार्य, कथावाचक, वैदिक विद्वान और विभिन्न पंथों के प्रतिनिधि एकत्र होकर धर्मादेश, सिद्धान्त और नीति-निर्णय करेंगे। यह सनातन संसद भवन भविष्य में विश्व सनातन एकता एवं पुनरुत्थान का मुख्यालय बनेगा, जहां से सम्पूर्ण विश्व के लिए नियुक्त सनातन सांसद धर्मादेश पारित करेंगे।
इसमें एक अद्वितीय आवासीय वैदिक-आधुनिक गुरुकुल की स्थापना भी की जा रही है। यहां उन्हें वैदिक शिक्षा, आधुनिक विज्ञान, स्वरोजगार एवं शस्त्र-प्रशिक्षण के साथ जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की व्यावहारिक शिक्षा दी जाएगी। यह गुरुकुल भारत की उस गौरवशाली परंपरा को पुनः जीवित करेगा जहां शिक्षा केवल जीविका नहीं, बल्कि जीवन के उद्देश्य से जुड़ी थी। यह संस्थान भविष्य के आचार्य, गुरु, योगाचार्य, कर्मयोगी और राष्ट्रनिर्माता तैयार करेगा।
महापीठ में शस्त्र प्रशिक्षण केंद्र बनेगा जहां प्रतिवर्ष एक लाख युवक-युवतियां धर्म योद्धा बनकर तैयार होंगे, जो प्रत्येक शस्त्र कला में दक्ष होंगे और आवश्यकता पड़ने पर सीमा पर सेना के साथ सहयोग करेंगे एवं आंतरिक युद्ध में सनातन विरोधियों के दांत खट्टे करेंगे।




महापीठ परिसर में देश की चारों प्रमुख शंकराचार्य पीठों द्वारका, पुरी, श्रृंगेरी और ज्योतिर्मठ के नाम से प्रेरणा परिसर निर्मित होंगे। यहां प्रत्येक पीठ की आध्यात्मिक परंपरा, आचार्यों की जीवन गाथा और उपदेशों का प्रदर्शन होगा, जिससे सनातन की एकात्मता और विविधता का अद्भुत संगम दिखेगा।
विश्व सनातन महापीठ” में भारत की तेरहों अखाड़ों सहित सिख, जैन, बौद्ध, आर्य समाज, रविदास, कबीर, नाथ और अन्य सभी सनातन परंपराओं के लिए अलग उद्देश्य परिसर निर्मित किए जाएंगे। इन सभी परिसर में उनके धर्मगुरुओं की प्रतिमाएँ, शिक्षाएँ, और ऐतिहासिक योगदान को प्रदर्शित किया जाएगा – जिससे आने वाली पीढ़ियाँ जान सकें कि सनातन परंपरा का विस्तार केवल भारत नहीं, बल्कि समस्त मानवता तक है। तीर्थ सेवा न्यास के तत्वावधान में बन रही इस सनातन पीठ का 21 नवंबर को भूपतवाला में देशभर के धर्माचार्यों की मौजूदगी में शिला पूजन किया जाएगा।

निर्माण संस्था तीर्थ सेवा न्यास के अध्यक्ष क्या कहते है ?
विश्व सनातन महापीठ की निर्माण संस्था तीर्थ सेवा न्यास के अध्यक्ष राम विशाल दास महाराज के अनुसार विश्व सनातन महापीठ का निर्माण तीन फेस में पूरा होगा जोकि 2032 तक पूर्ण रूप ले लेगा।
तीन फेस में होगा तैयार


राम विशाल दास महाराज के अनुसार पहला फेस २०२६ तक तैयार हो जायेगा जिसमे में यञशाला ,विश्व सनातन महापीठ का मुख्यालय और देशी गौ संरक्षण शाला।
दूसरे फेस जोकि 2029 में पूरा हो जायेगा ,जिसमे गुरुकुल ,सनातन संसद भवन, प्रमुख शंकराचार्य पीठों द्वारका, पुरी, श्रृंगेरी और ज्योतिर्मठ के नाम से प्रेरणा परिसर निर्मित होंगे ,साथ ही परिक्रमा पथ ,108 संतो की कुटिया बनकर तैयार होंगी।

तीसरा फेस जोकि 2032 तक तैयार होगा ,जिसमे 1008 यात्री निवास ,मेडिटेशन हाल ,ऑडिटोरियम ,विभिन्न महापुरुषों की मुर्तिया ,विभिन्न सम्प्रदायों के परिसर और अंत में सनातन टाइम म्यूजियम के साथ विश्व सनातन महापीठ बनकर तैयार हो जायेगा। जिसकी लागत लगभग एक हज़ार करोड़ है। जोकि 100 एकड़ भूमि पर बनेगा ,जिसमे 50 एकड़ हरिद्वार और बाकि 50 एकड़ किसी अन्य प्रदेश में बनेगा।




