( ज्ञान प्रकाश पाण्डेय )
हरिद्वार / नैनीताल। उत्तराखंड के चर्चित IAS अधिकारी दीपक रावत का सफ़र सरल नहीं था—लेकिन उनकी हिम्मत ने हर मुश्किल को मात दे दी।

1977 में जन्मे दीपक रावत का बचपन बड़ा दिलचस्प था… कभी कबाड़ीवाला बनने का सपना देखने वाला यह बच्चा आगे चलकर देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC में टॉप कर देगा—किसी ने सोचा भी न था!
मसूरी के सेंट जॉर्ज कॉलेज से स्कूलिंग करने के बाद दीपक ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में दाखिला लिया। फिर JNU से इतिहास में MA और MPhil की डिग्री हासिल की।
लेकिन ज़िंदगी ने एक बड़ा मोड़ तब दिया, जब 24 साल की उम्र में पिता ने आर्थिक मदद देना बंद कर दी।

हालात कठिन थे, पर इरादे अटल!
महज़ 8,000 रुपये की JRF स्कॉलरशिप पर पढ़ाई और UPSC की तैयारी—दोनों साथ चलती रहीं।
पहले दो प्रयास असफल रहे…लेकिन दीपक रावत टूटे नहीं—बल्कि और मज़बूत हुए।
और फिर आया वो सुनहरा पल—साल 2007, तीसरा प्रयास, ऑल इंडिया रैंक 12!
दीपक रावत बन गए IAS अधिकारी।
आज वे उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल के मंडलायुक्त के रूप में कार्यरत हैं और अपने काम, व्यक्तित्व और जज़्बे से लाखों युवाओं की प्रेरणा बन चुके हैं।




