( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड में ड्रग्स संग पकडे जाने या फिर रखने पर युवाओं नहीं होगी जेल ,नई ड्रग पॉलसी के तहत अब ड्रग्स रखने के जुर्म में एनडीपीएस ऐक्ट में गिरफ्तार युवाओं को जेल के बजाय नशा मुक्ति केंद्र में रहने का विकल्प मिलेगा। इसी जुर्म के चलते जेल में बंद महिलाएं भी मुख्य जेल से बाहर सब जेल में रखी जाएंगी। प्रदेश सरकार विभिन्न विभागों के सहयोग से एंट्री ड्रग्स पॉलिसी पर काम कर रही है। इस काम के लिए गृह विभाग को नोडल बनाया गया।
गृह विभाग ने स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभाग के साथ मिलकर पॉलिसी का स्वरूप तय भी कर लिया है। इसे जल्द कैबिनेट में रखा जा सकता है। इसी क्रम में अब निजी प्रयोग के लिए ड्रग्स रखने पर गिरफ्तार युवाओं को जेल भेजने के बजाय, उतनी अवधि के लिए नशा मुक्ति केंद्र में रहने का विकल्प मिलेगा।
ऐसे युवा शपथ पत्र भरकर नशा मुक्ति केंद्र में खुद को सुधार सकते हैं। हालांकि तस्करों के मामले में ये छूट लागू नहीं होगी। इसी तरह एनडीपीएस के जुर्म में गिरफ्तार महिलाओं को भी जेल से बाहर सब जेल में रखा जाएगा। इसके लिए विभाग दोनों मंडलों में एक-एक सरकारी भवन को सब जेल के रूप में चिह्नित करने जा रहा है।

वर्तमान में 26 महिलाएं इस जुर्म में प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद हैं। अपर सचिव गृह रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि भारत सरकार ने पहले ही कानूनों में इस तरह के प्रावधान किए हुए हैं। सरकार का मकसद महिलाओं और युवाओं को अपराधियों से दूर रखने का है। इसके चलते अब उत्तराखंड में भी यह व्यवस्था लागू की जा रही है।
दोनों मंडलों में एक-एक नशा मुक्ति केंद्र बनाएगी सरकार
राज्य में फिलहाल बिना पंजीकरण के नशा मुक्ति केंद्र चल रहे हैं। ऐसे में सरकार अब दोनों मंडलों में एक-एक नशा मुक्ति केंद्र बनाने जा रही है। इनका संचालन समाज कल्याण विभाग करेगा। निजी नशा मुक्ति केंद्रों के लिए भी पंजीकरण की व्यवस्था की जा रही है।
इनके संचालन के लिए सरकार गाइडलाइन के साथ फीस भी निर्धारित कर सकती है। साथ ही केंद्रों के निरीक्षण और निगरानी का अधिकार भी सुरक्षित कर सकती है।

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