( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून।उत्तराखंड शिक्षा विभाग की उदासीनता तो देखिए। यहां शिक्षकों की नियुक्ति के 20 साल बाद भी उनका स्थायीकरण (कंफर्मेशन) नहीं किया जा रहा। कई शिक्षक परिवीक्षा अवधि में ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
प्रारंभिक शिक्षा विभाग में 20 साल बाद भी शिक्षकों की नौकरी पक्की नहीं हो पाई है। शिक्षक आज भी परिवीक्षा अवधि (प्रोबेशन) में ही नौकरी कर रहे हैं। एक आरटीआई की अपील के माध्यम से सूचना आयोग तक मामला पहुंचा तो शिक्षा विभाग की इस लापरवाही की पोल खुली। राज्य सूचना आयुक्त विपिन चंद्र ने मामले में विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह निर्धारित परिवीक्षा अवधि पूरी होते ही शिक्षकों के स्थायीकरण की प्रक्रिया शुरू करे।
असिस्टेंट प्रोफेसर ने आरटीआइ में मांगी थी जानकारी
राजकीय महाविद्यालय बड़कोट (उत्तरकाशी) के असिस्टेंट प्रोफेसर डा जगदीश चंद्र ने स्थायीकरण को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक शिक्षा) चमोली से आरटीआइ में जानकारी मांगी थी। उनकी नियुक्ति बीटीसी करने के उपरांत इसी जिले में वर्ष 2003 में जारी की गई विज्ञप्ति के क्रम में की गई थी।
आरटीआइ में उन्होंने स्थायीकरण के शासनादेश, नियम आदि की जानकारी मांगी थी। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने सूचनाएं धारित न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ दिया था।
प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी स्तर से भी जब मांगी गई सूचनाएं नहीं मिली तो डा जगदीश चंद्र ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। प्रकरण की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त विपिन चंद्र ने संबंधित अधिकारियों को तलब किया था।
हालांकि, सुनवाई के दौरान ही विभाग ने डा जगदीश चंद्र का स्थायीकरण कर दिया। सुनवाई में यह भी बात सामने आई कि शिक्षा विभाग में तमाम शिक्षकों को 20 साल की अवधि के बाद भी स्थायी नहीं किया गया है।
कई शिक्षक स्थायी होने की आस में ही रिटायर
कई शिक्षक स्थायी होने की आस में ही रिटायर हो रहे हैं। इस स्थिति पर खेद व्यक्त करते हुए सूचना आयुक्त विपिन चंद्र ने कहा कि यदि विभाग समय पर शिक्षकों को स्थायी कर दे तो उन्हें अनावश्यक आरटीआइ का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। आदेश के प्रति निदेशक प्रारंभिक शिक्षा को इस आशय के साथ भेजी गई कि वह स्थायीकरण के लंबित प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण करेंगे।