( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। पिछले डेढ़ दशक के दौरान हिमालयी राज्यों में सबसे अधिक जंगल उत्तराखंड राज्य में गैर वानिकी उपयोग यानी विकास की भेंट चढ़े। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 15 वर्षों में 14141 हेक्टेयर वन भूमि अन्य उपयोग के लिए ट्रांसफर की गई।
अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर बाकी कोई हिमालयी राज्य उत्तराखंड के आसपास नहीं है। पड़ोसी राज्य हिमाचल में 6696 हेक्टेयर वन भूमि दूसरे उपयोग के लिए इस्तेमाल हुई। केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में ये आंकड़े रखे।
आंकड़ों के मुताबिक, वन भूमि डाइवर्जन मामले में उत्तराखंड देश के टॉप 10 राज्यों में शामिल है। राज्य में औसतन प्रत्येक वर्ष 943 हेक्टेयर भूमि दी जा रही है। वर्ष 2008-09 से लेकर वर्ष 2022-23 के दौरान सभी राज्यों में 305945.38 हेक्टेयर भूमि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत गैर वानिकी उपयोग के लिए लाई गई।
हिमालयी राज्यों में अन्य उपयोग में लाई वन भूमि का ब्योरा
राज्य दी गई वन भूमि(हे.)
उत्तराखंड 14,141
हिमाचल 6,696
जम्मू और कश्मीर 423
अरुणाचल प्रदेश 12,778
असम 6,166
मेघालय 421
मणिपुर 3,758
मिजोरम 926
त्रिपुरा 1,860
इन कार्यों के लिए दी गई जंगल की भूमि
सड़क, रेलवे, पुनर्वास, शिक्षा, उद्योग, सिंचाई, ऑप्टिकल फाइबर, नहर, पेयजल, पाइपलाइन, उत्खनन, जल, ऊर्जा, सौर ऊर्जा ।
वही सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल का कहना है कि उत्तराखंड राज्य की संवेदनशीलता को देखते हुए ये आंकड़े चिंता में डालने वाले हैं। हर साल राज्य आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों का सामना कर रहा है। नीति नियंताओं को गंभीरता से पर्यावरण संतुलन के बारे में सोचना होगा।