( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव में दो – तिहाई बहुमत हासिल करने के बाद भाजपा मुख्यमंत्री को लेकर मंथन में जुटी हुई है। यह जानते हुए कि मोदी – शाह और नड्डा की तिगड़ी CM मामले में सभी को चौका सकते है। फिर भी उत्तराखण्ड में कुर्सी की दौड़ शुरू हो गई है। वही विधायकों का मन टटोलर के लिए केंद्रीय नेतृत्व की और से केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पीयूष गोयल को पर्यवेक्षक नियुक्त कर उत्तराखण्ड भेजा गया है। वही बेशक CM पद के लिए कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा है पर अरमान सभी के जोर मार रहे है।
भाजपा ने चुनाव में स्पष्ट बहुमत हासिल किया है, लेकिन चुनाव में पार्टी का चेहरा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा से चुनाव हार गए। ऐसे में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह प्रश्न राजनीतिक गलियारों में तैर रहा है। साथ ही भाजपा भी मुख्यमंत्री के नाम पर विचार करने में जुट गई है। चर्चा है कि चुनाव हारने के बावजूद धामी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पिछली सरकार में उन्हें कार्य करने को केवल छह माह का ही समय मिल पाया। इस दौरान वह निर्विवादित रहे। साथ ही सरकार और पार्टी की छवि को बेहतर करने की कोशिश में वह सफल रहे। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इसका संज्ञान लिया।
विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने में भी धामी की भूमिका महत्वपूर्ण रही। साथ ही उन्होंने पार्टी में नई ऊर्जा का संचार किया। धामी को यदि फिर से मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो इसे लेकर अचरज भी नहीं होगा। पूर्व में अरुण जेटली और स्मृति ईरानी के लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद भाजपा ने उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया था। हाल में बंगाल के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने भी यही फार्मूला अपनाया था। ममता बनर्जी के चुनाव हारने के बाद भी टीएमसी ने बनर्जी को ही मुख्यमंत्री बनाया।
जबकि महाराज और धन सिंह के नामों की चर्चा सीएम पद के लिए सिर्फ धामी का ही नाम गूंज रहा हो, ऐसा नहीं है। नव निर्वाचित विधायकों में से जिन्हें मुख्यमंत्री पद का मजबूत दावेदार माना जा रहा है, उनमें एक नाम वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज हैं। पौड़ी जिले के चौबट्टाखाल से दूसरी बार चुनाव जीते महाराज गढ़वाल से सांसद रहे हैं और केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं। दूसरा नाम श्रीनगर गढ़वाल से चुनाव जीते डॉ. धन सिंह रावत का है। संघ की पृष्ठभूमि के धन सिंह की संगठन में तगड़ी पैंठ मानी जाती है। क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों के हिसाब से विधायकों में से कुछ और नामों की चर्चा हो रही है।
चर्चाओं में ब्राह्मण चेहरे वरिष्ठ विधायकों में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर मदन कौशिक, गणेश जोशी और सुबोध उनियाल, विनोद चमोली के नामों की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कुमाऊं से बंशीधर भगत और अरविंद पांडेय के नाम भी चर्चाओं में है।
धामी के लिए सीट छोड़ने की पेशकश
धामी को मुख्यमंत्री बनाने की स्थिति में उनके लिए सीट खाली करने की पेशकश भी होने लगी है। बीते दिवस चम्पावत से चुनाव जीते विधायक कैलाश गहतौड़ी ने सबसे पहले यह पेशकश की थी। अब जागेश्वर से चुनाव जीते भाजपा प्रत्याशी मोहन सिंह मेहरा और खानपुर से निर्दलीय चुनाव जीते उमेश जे कुमार ने भी इसी तरह की पेशकश की है।
मोदी-शाह भी करते रहे हैं सराहना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कई अवसरों पर मुख्यमंत्री धामी की सराहना कर चुके हैं। चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे कई मौके आए, जब प्रधानमंत्री समेत केंद्रीय नेताओं ने धामी की पीठ थपथपाई।
ठाकुर चेहरे :
पुष्कर सिंह धामी, सतपाल महाराज और धनसिंह के अलावा पूर्व कैबिनेट मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल के नाम भी चर्चाओं में है।
गैर विधायकों में निशंक और भट्ट के नाम
भाजपा के हलकों में यह चर्चा भी गरमाती रही कि यदि केंद्रीय नेतृत्व ने गैर विधायकों में से किसी चेहरे पर दांव लगाया तो वह इन सियासी दिग्गजों में से हो सकता है। इनमें सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का नाम चर्चाओं में है। निशंक केंद्र में मंत्री व प्रदेश मुख्यमंत्री रह चुके हैं। केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट का नाम चर्चाओं में है। चर्चा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम की भी शुरू हो गई। हालांकि शुक्रवार को उन्होंने कहा इस संभावना से साफ इनकार किया।
त्रिवेंद्र और धामी के लिए सीट छोड़ने को तैयार
भाजपा के दो नव निर्वाचित विधायकों ने अलग-अलग घोषणा की कि वह अपनी सीट छोड़ने को तैयार हैं। डोईवाला विधानसभा सीट से चुने गए विधायक बृजभूषण गैरोला का बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को पार्टी मुख्यमंत्री बनाती है तो वह अपनी सीट उनके लिए खाली कर देंगे। चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट खाली करने का एलान किया।
वही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक का कहना है कि सरकार के गठन व मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए अभी केंद्रीय नेतृत्व से हमें कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। केंद्रीय नेतृत्व के जो भी दिशा-निर्देश होंगे, उसके अनुसार प्रक्रिया शुरू होगी। निर्णय केंद्रीय नेतृत्व करना है।