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बड़ी खबर : CM धामी की ‘लंच डिप्लोमेसी ,हल्द्वानी में दलित कार्यकर्ता के घर खाना खाकर सबको किया चकित। आखिर क्या रणनीति ? Tap कर जाने

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* उत्तराखण्ड की राजनीती में इस वक्त ‘दलित वोटर’लगातार सुर्खियों में है। हरीश रावत द्वारा पंजाब में चन्नी को सीएम बनाने के बाद कांग्रेस चुनाव अभियान प्रमुख हरीश रावत ने ने कहा था कि उत्तराखण्ड में भी दलित होना चाहिए। इसके तुरंत बाद कांग्रेस में यशपाल आर्य का आगमन या वापसी हुई। जिनके घर इस सुगबुगाहट के बीच अचानक सीएम धामी एक दिन नास्ता करने भी पहुंचे थे और आर्य के साथ नाकाम ‘ब्रेकफास्ट डिप्लोमेसी ‘कर चुके  सीएम धामी ने अब ‘लंच डिप्लोमेसी ‘ की तरफ रुख किया है। 

( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

हल्द्वानी। उत्तराखण्ड के युवा सीएम धामी ने अपने हल्द्वानी दौरे के दौरान अचानक एक भाजपा कार्यकर्ता के घर पहुंच जाना जहा सभी को हैरानी में दाल दिया था वही उन्होंने वह भोजन भी किया। धामी के इस अचानक कार्यक्रम को लोग देखते रह गए क्योंकि वह अनुसूचित जाति के परिवार का घर था, बाद में समझा गया कि धामी दलित वोटरों को साधने में जुट चुके हैं, जिसका एक उदाहरण बुधवार को हल्द्वानी में सभी के द्वारा देखा गया।  धामी ने अचानक जिस दलित कार्यकर्ता के घर पहुंचकर भोजन किया, वह राजपुरा इलाके में बीजेपी के पुराने वार्ड अध्यक्ष रहे नंद किशोर थे।  भोजन से पहले नंदकिशोर के घर धामी का परंपरागत स्वागत भी हुआ।

 नन्द किशोर के घर भोजन के लिए पहुंचे धामी ज़मीन पर ही बैठ गए।  इस दौरान उन्होंने नैनीताल के बीजेपी जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट के साथ ज़मीन पर बैठकर भोजन किया।  हालांकि लंच के बाद धामी सीधे खटीमा के लिए निकल गए, लेकिन बीजेपी के दलित कार्यकर्ता के घर भोजन करने को सीएम के बड़े राजनीतिक कदम के तौर पर देखा जाने लगा और इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं भी शुरू हो गईं। 


पिछले महीने कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य अचानक मंत्री पद ठुकराकर बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हो गए थे।  यही नहीं, आर्य अपने साथ नैनीताल से विधायक अपने बेटे संजीव को भी कांग्रेस में ले गए। आर्य को दलित राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता है।  चुनावों से ऐन पहले बीजेपी छोड़कर यशपाल का चला जाना पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।  ऐसे में बीजेपी को दलित वोट छिटकने का डर सताने लगा है। 

राजनैतिक जानकार मानते हैं कि इसी वोट बैंक को साधने के लिए धामी ने कोशिश शुरू कर दी है औऱ दलित कार्यकर्ता के घर लंच करना इसी ‘दलित डिप्लोमेसी’ का हिस्सा है।  इधर जब धामी आर्य के घर लंच के लिए पहुंचे तो पहले घर में मौजूद महिलाओं ने धामी के माथे पर टीका लगाकर स्वागत भी किया।  उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी दलित वोटों को साधने में पीछे नहीं हैं। 

विपक्षी कांग्रेस लगातार दलित वोटरों को साधने की कोशिश में है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तो साफ-साफ ऐलान कर चुके हैं कि 2017 के चुनावों में जो दलित वोटर कांग्रेस से दूर गया था, वो 2022 में कांग्रेस के साथ आएगा, जिसके लिए यशपाल आर्य को पार्टी ने फिर जोड़ लिया है।  साथ ही, हरीश रावत जगह-जगह दलित बस्तियों में जाकर कार्यक्रम भी कर रहे हैं। 

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