( ललित जोशी )
नैनीताल। चारधाम यात्रा को लेकर बड़ी खबर आ रही है। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने यात्रियों की सिमित संख्या को खत्म करते हुए अपर लिमिट हटा दी है। लेकिन कोर्ट ने साफ किया है कि पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और यात्रा में आरटीपीसीआर रिपोर्ट अनिवार्य होगी। कोर्ट ने सरकार से कहा कि यात्रा के दौरान मेडिकल सुविधाओं की कोई भी कमी यात्रियों के लिए न हो और महिलाओं व बच्चों का विशेष ध्यान रखा जाए।
चीफ जस्टिस कोर्ट ने चारों धामों में मेडिकल एमरजेंसी के लिए हेलीकॉप्टर व्यवस्था करने को कहा और यात्रियों को इसकी सुविधा के संबंध में पूरी जानकारी देने को कहा। इससे पहले सरकार ने कोर्ट में केदारनाथ बद्रीनाथ समेत सभी धामों में यात्रियों की संख्या को बढ़ाने की मांग की थी। सरकार ने तिरुपति और सोमनाथ मंदिर का भी अपने प्रार्थना पत्र का हवाला देते हुए कहा कि इन मंदिरों में एक दिन में 2800 से ज्यादा यात्रियों को अनुमति है, लेकिन चारधाम में यात्रियों की संख्या काफी कम है। वहीं, केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने भी कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर कहा कि वो जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं, लिहाजा जनता को हो रही दिक्कतों पर उनका पक्ष सुना जाए। कोर्ट 10 नवंबर को अब मामले पर सुनवाई करेगा।
ये थी कोर्ट में सरकार की दलील
दरअसल मेडिकल सुविधाओं के अभाव में 28 जून को हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। फिर 16 सितंबर को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने रोक को हटाकर यात्रियों की संख्या सीमित कर दी। कोर्ट के आदेश के तहत बद्रीनाथ में 1000 केदारनाथ में 600 यात्रियों को अनुमति कोर्ट से मिली थी। हालांकि अब 15 अक्टूबर तक बुकिंग पैक होने के चलते सरकार ने प्रार्थना पत्र दाखिल किया और बद्रीनाथ व केदारनाथ के लिए 3 हजार, गंगोत्री के लिए 1 हजार, यमुनोत्री के लिए 700 यात्रियों की मांग की।
चार धाम यात्रा को लेकर उत्तराखंड सरकार और श्रद्धालुओं को बड़ी राहत मिली
सरकार ने अपने प्रार्थना पत्र में तिरुपति का हवाला देते हुए कहा है कि एक ज़िले में होने वाली यात्रा के लिए 8 हजार की अनुमति दी गई है, लेकिन उत्तराखंड के 4 ज़िलों में आयोजित होने वाली चारधाम यात्रा में 2800 को ही अनुमति दी गई। इसके साथ सरकार ने कहा है कि अब तक 1 भी यात्री कोरोना पॉजिटिव नहीं आया और अब सरकार की मंशा 1 मिनट में 3 यात्रियों को दर्शन करने के बजाए 1 मिनट में 5 यात्रियों को दर्शन कराने की है।