( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
ग्वालियर। फौजी से बागी बने पान सिंह तोमर की कहानी से सभी परिचित है। शायद ऐसी ही एक पटकथा एक बार फिर शायद ग्वालियर में दुहराई जाने वाली है क्या ? जी हाँ ,वहां के रिटायर्ड फौजी ने ऐसी ही धमकी दी है। इतना ही नहीं रिटायर्ड फौजी ने सरकारी सिस्टम से परेशान होकर सुनवाई के दौरान सरेआम कलेक्टर से पूछ लिया कि – क्या मैं भी बागी हो जाऊं ?
गौरतलब है कि बागी पान सिंह तोमर की कहानी आज भी लोगों की जुबां पर है। बेहतरीन धावक रहे फौजी पान सिंह तोमर उस दौर में सिस्टम की तानाशाही से परेशान होकर बागी बन गए थे। ग्वालियर का एक रिटायर्ड फौजी अपने प्लॉट पर भू-माफिया के कब्जे से परेशान है। पुलिस – प्रशासन उसकी मदद नहीं कर रहे। इससे तंग आकर अब वो बागी होने की बात करने लगा है।
कलेक्टर भी भौंचक रह गए
जी हाँ ,कलेक्टर की जन सुनवाई चल रही थी। भारी भीड़ थी सब अपनी अपनी समस्याएं कलेक्टर से कह रहे थे। उसी भीड़ में ये पूर्व फौजी रघुनाथ सिंह तोमर भी थे। वो एकदम कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के सामने हाजिर हुए और अपनी व्यथा कहने लगे- साहब देश सेवा के बाद अब परिवार के साथ सुकून की ज़िंदगी बिताना चाहता हूं। लेकिन माफिया और पुलिस वाले मुझे पान सिंह तोमर बनने के लिए मजबूर कर रहे हैं। क्या अपने परिवार की हक की लड़ाई के लिए “साहब बंदूक उठाकर पान सिंह तोमर जैसा बागी बन जाऊं।” ? रिटायर्ड फौजी की बात सुन कलेक्टर भी सन्न रह गए। कलेक्टर ने एसडीएम को आदेश दिया कि 48 घंटे के अंदर पूर्व फौजी को।
फौजी के प्लॉट पर भू- माफिया का कब्जा
ग्वालियर के लाल टिपारा इलाके में रहने वाले रिटायर्ड फौजी रघुनाथ सिंह तोमर अपनी पत्नी के साथ कलेक्टर के पास न्याय की गुहार लगाने पहुंचे थे। रघुनाथ ने साल 2011 में ग्वालियर के साईं नगर में एक प्लॉट खरीदा था। रघुनाथ ने अरविंद गुर्जर से करीब साढ़े तीन लाख रुपए में प्लॉट खरीदा था। पिछले साल फौज से रिटायर होने के बाद रघुनाथ ग्वालियर लौटे। अपने प्लॉट पर मकान बनाने की तैयार की । लेकिन उनके प्लॉट पर दबंगों ने कब्जा कर लिया। रघुनाथ सिंह तोमर ने बताया कि उसके प्लॉट को माफिया ने कई बार बेच दिया। जब वो अपने प्लॉट पर मकान बनवाने के लिए पहुंचते हैं तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती है। कब्जाधारी माफिया मारपीट पर उतारू हो जाता है।
सालभर से परेशान हैं तोमर
रघुनाथ का कहना है उसने थाने से लेकर प्रशासन तक सबको शिकायती आवेदन दिया है. लेकिन कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है। ऐसे में क्या उनको पान सिंह तोमर की तरह बागी होने पर मजबूर किया जा रहा है। यदि अब उन्हें प्रशासन और पुलिस से मदद नहीं मिलती है तो वह बंदूक उठाने पर मजबूर हो जाएंगे। तोमर का यह भी कहना है कि उन्होंने सोचा था कि वह जब रिटायर होंगे तो अपने परिवार को समय देंगे और अपने आशियाने में रहकर सुकून की जिंदगी जीएंगे। लेकिन भू माफिया के कारण अब उनकी उम्मीदें टूटती जा रही हैं। पूर्व फौजी की बात सुनने के बाद कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने SDM को तत्काल एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं।
बागी पान सिंह तोमर के बारे में जानिए
पान सिंह तोमर का जन्म 1932 में चंबल इलाके में हुआ था। वो भारतीय फौज में शामिल हुए । पान सिंह सेना के बेहतरीन एथलीट थे। 1950 और 1960 के दशक में सात बार राष्ट्रीय स्टीपलचेज़ चैम्पियन रहे। पान सिंह ने 1952 के एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। पारिवारिक हालातों के कारण वो वक्त से पहले सेना से रिटायर होकर पैतृक गांव लौट आए। उनके परिवार के लोगों ने ही उनकी ज़मीन पर कब्जा कर लिया। पुलिस से पानसिंह को सहयोग नहीं मिला। इस दौरान उनकी मां चल बसीं। सिस्टम से परेशान पान सिंह तोमर बदला लेने के लिए बीहड़ में कूद पड़े. उन्होंने अपना गैंग बनाया। 01 अक्टूबर 1981 में पुलिस ने पानसिंह तोमर का एनकाउंटर कर दिया। साल 2012 में उसी कैरेक्टर पर एक फिल्म बनी थी, जिसमे इरफान खान ने पानसिंह का रोल किया था।