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बड़ी खबर : उमेश शर्मा काऊ और हरक सिंह के दिल्ली दौरे से उत्तराखंड की सियासत गर्म। आखिर क्या है खेमो में बेचैनी की वजह ? Tap कर जाने

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( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

देहरादून / नई दिल्ली। उत्तराखण्ड में चुनाव नजदीक आने के साथ ही राजनेताओ की मूवमेन्ट आज कल सुर्खिया बटोर रही है। ऐसा ही कुछ शनिवार को भी हुआ ,जब उत्तराखंड सरकार में मंत्री हरक सिंह रावत और विधायक उमेश शर्मा काऊ अचानक दिल्ली पहुंच गए।  दोनों नेता सीधे बीजेपी ऑफिस पहुंचे जहां उन्होंने प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम से मुलाकात की।  इसके बाद बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से भी उनकी मुलाकात हुई। बीजेपी कांग्रेस से आए नेताओं को वापस कांग्रेस में लौटने से रोकने को लेकर सक्रिय हो गई है।  दोनों नेताओं को प्रभारी दुष्यंत गौतम और अनिल बलूनी की तरफ से समझाया गया है। 

दरअसल, बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो चुके यशपाल आर्य के साथ साथ उमेश शर्मा काऊ और हरक सिंह रावत की भी वक्त वक्त पर नाराज़गी की खबरें सामने आईं।  ऐसे में यशपाल आर्य के कांग्रेस में जाने के बाद बीजेपी कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती।  खासतौर पर कांग्रेस बैकग्राउंड के वो नेता जो नाराज चल रहे हों, उनकी नाराजगी दूर करने की पूरी कोशिश की जाए। 

हरक सिंह रावत थे हरीश रावत सरकार गिराने के मुख्य किरदार

सोमवार 11 अक्टूबर को यशपाल आर्य ने जब कांग्रेस का दामन थामा तो उस वक्त उमेश शर्मा काऊ भी दिल्ली में थे, लेकिन बाद में खबरें सामने आईं कि उत्तराखंड के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने उन्हें समझाने में अहम भूमिका निभाई और काऊ का कांग्रेस में जाने का प्लान कैंसिल हो गया। 
बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी केंद्रीय संगठन और राज्य की बीजेपी के बीच एक ब्रिज का काम कर रहे हैं और बलूनी के कंधों पर सब कुछ फिट बनाए रखने की बड़ी जिम्मेदारी है।  ऐसा ही शनिवार को दिखा जब दिल्ली जाकर हरक सिंह रावत और उमेश शर्मा काऊ उन्हें अनिल बलूनी से मुलाकात की।  साल 2016 में हरीश रावत की सरकार से बगावत करने के बाद 10 बागी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे।  इस बगावत का नेतृत्व पूर्व सीएम विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत ने किया, लेकिन खास बात थी तब ये सभी नेता एक ग्रुप में थे।  बीजेपी में आने के बाद ग्रुप नजर नहीं आया और हर नेता अपनी सियासत बचाने की कोशिश में लग गया। 
हरक सिंह रावत थे हरीश रावत सरकार गिराने के मुख्य किरदार

हरक सिंह रावत की बात करें तो 2016 में हरीश रावत की सरकार गिराने में उनका बड़ा रोल रहा, वहीं अपनी ही पार्टी के नेता मदन बिष्ट के स्टिंग को लेकर भी हरक सिंह रावत पर सवाल खड़े हुए।  ऐसे में हरक सिंह रावत बीजेपी में बने रहेंगे या कांग्रेस का दामन थामेंगे कुछ भी कंफर्म कह पाना संभव नहीं है।  कुल मिलाकर 2022 के चुनाव से पहले अगले 3 महीने में उत्तराखंड की सियासत में कुछ भी संभव है। 

बीजेपी शीर्ष नेताओं ने दिया ये आश्वासन
बीजेपी से नाराज़ चल रहे उत्तराखंड सरकार के मंत्री हरक सिंह रावत और विधायक उमेश शर्मा काउ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के साथ एक ही फ्लाइट से दिल्ली पहुचे तो कयासों का दौर शुरू हो गया।  नेता बीजेपी महासचिव और उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत गौतम के आवास पर आए और चारों नेताओं के बीच मे लंबी चर्चा हुई- चर्चा में हरक सिंह रावत और उमेश काउ ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए अपनी समस्याओं को प्रभारी के सामने रखा।  उसके बाद प्रभारी द्वारा उन समस्याओं को तुरंत मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया गया और दुष्यंत गौतम द्वारा तुरंत उनकी समस्याओं को पार्टी नेतृत्व के सामने रखकर उनके समाधान का आश्वासन दिया गया।   इस मामले को लेकर प्रभारी दुष्यंत गौतम ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की।  पूरी स्थित को नेतृत्व के समक्ष रखा। नेतृत्व की तरफ से जल्दी ही निराकरण का आश्वासन सभी नेताओं को दिया गया है। 

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