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उत्तराखण्ड न्यूज़ पोर्टल्स प्रतिनिधियों ने विज्ञापन नीति के सम्बंध में महानिदेशक सुचना से की मुलाकात। DG सुचना ने जल्दी ही साकारात्मक पहल का दिया आश्वासन। आखिर क्या थी मांग ? Tap कर जाने 

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( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून।
  हाल ही में सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग द्वारा सोशल मीडिया के न्यूज़ पोर्टल्स की वित्तीय निविदा खोलने के बाद विज्ञापन दरों को देखकर हतप्रभ व आक्रोशित पत्रकारों के संगठन द्वारा महानिदेशक सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग रणवीर सिंह चौहान से मुलाकात कर एक 10 बिंदुओं का ज्ञापन सौंपा गया जिसमें पत्रकारों द्वारा न्यूज़ पोर्टल्स के समूह क ख और ग में जारी की गई विज्ञापन दर को अब तक की सबसे कमतर दर बताते हुए अपनी शिकायत दर्ज की है।
महानिदेशक सूचना रणवीर सिंह चौहान ने तत्काल सभी बिंदुओं का संज्ञान लेते हुए आश्चर्य व्यक्त करते हुए पत्रकारों को आश्वासन भरे शब्दों में कहा कि मैं भी कभी यह नहीं चाहूंगा कि मैं डीजी सूचना रहते हुए इतिहास बन जाऊं। उन्होंने सभी को आश्वस्त करते हुए कहा कि विभाग इस प्रकरण पर समीक्षा कर इन सारी जानकारियों पर बिंदुवार काम करेगा व जल्दी ही मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इसका समाधान किया जाएगा।
इस दौरान उत्तराखंड वेब मीडिया एसोसिएशन के अध्यक्ष  व हिमालयन डिस्कवर के सम्पादक मनोज इष्टवाल ने कहा कि चुनावी बर्ष होने के कारण व कोरोना संक्रमण के कारण सभी मीडिया संगठन यही सोच रहे थे कि इस बार सूचना विभाग हमारी रोजी रोटी की दिशा में कुछ बेहतर करेगा लेकिन जो विज्ञापन दरें सामने आई हैं उससे स्पष्ट हो गया है कि कुछ न्यूज़ पोर्टल्स ने जानबूझकर ऐसे रेट डाले हैं ताकि सभी पत्रकार भड़क उठें व सरकार के विरूद्ध हल्ला बोल शुरू कर दें। यह सब एक सोची समझी साजिश के तहत किया गया कार्य है।


आपको बता दें कि विभिन्न न्यूज़ पोर्टल संगठन ने बिंदुवार निम्न 10 बिंदु महानिदेशक सूचना के समक्ष रखें हैं।एक नजर न्यूज पोर्टल्स प्रतिनिधिमंडल द्वारा सौंपे गए 10 सूत्रीय मांग पत्र पर।
1- महोदय, कोरोना काल में न्यूज पोर्टल पत्रकारों के आर्थिक संकट को देखते हुए इस पूरे वर्ष हर माह सम्मानजनक राशि (वर्ग क के लिए 50 हजार, वर्ग ख के लिए 35 हजार और वर्ग ग के लिए 20 हजार के विज्ञापन) जारी किए जायें। ताकि न्यूज पोटल्स की पूरी टीम पूरे मनोयोग व ईमानदारी से सरकार के विकास कार्यों से जुड़ी खबरों को प्राथमिकता से लिखे व सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से उनका प्रचार-प्रसार कर सके।
2- समूह क, ख, ग की विगत बर्ष निर्धारित दरों से 20 प्रतिशत अधिक निर्धारित करने के लिए अपने सर्वाधिकार का प्रयोग करें।
3- समूह क और ख वर्ग के न्यूज पोर्टल्स की विज्ञापन दरों के रेट एक जैसे हैं। यह निर्धारित ई-टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, अतः अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए इसमें सुधार करने की कृपा करें।
4- समूह ग के न्यूज पोर्टल्स के रेट भी पिछले साल की तरह ही हैं। यह निर्धारित ई-टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, अतः अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए इसमें सुधार करने की कृपा करें।
5- जिस भी न्यूज पोर्टल संस्थान द्वारा सबसे न्यूनतम दर डाली है, उन्हें चिन्हित कर अपना सर्वाधिकार का प्रयोग कर उन्हें मात्र उस राशि का विज्ञापन जारी हो, न कि उसे अन्य पत्रकारों की भांति अन्य लाभ श्रेणियों में रखा जाय।
6- महोदय, इस बांत की भी जांच कराई जाये कि क्या स्क्रूटनी करते समय राज्य से बाहर के न्यूज पोर्टल्स के दस्तावेजों की गहनता से जांच की गई थी। अगर हां तो इस बात का ध्यान क्यों नहीं रखा गया कि कतिपय न्यूज पोर्टल प्रदेश से बाहर के हैं जबकि निविदा में यह नियम पहले से है कि बाहरी न्यूज पोर्टल्स का कार्यालय प्रदेश में होना चाहिये।
7-राज्य से बाहर के कुछ न्यूज पोर्टल्स को सूचीबद्व किया गया है, जिनका कार्य क्षेत्र उत्तराखंड नहीं है, और न ही उत्त्तराखण्ड से इनका कोई लेना देना है। इनके द्वारा दिए गये कार्यालयों के पतों पर हमें संदेह है। इसलिए राज्य से बाहर के पत्रकारों की एलआईयू जांच कराई जाए। इसमें इनके स्थानीय पते व आधार कार्ड समेत अन्यत दस्तावेजों का गहनता से अध्ययन किया जाये कि कहीं इनमें से कोई सरकार विरोधी गतिविधियों में संलिप्त तो नहीं है।
8- इस शर्त का कठोरता से पालन हो कि न्यूज पोर्टल्स चलाने वाले पत्रकार व उनके कार्यालय उत्तराखण्ड मूल के ही हों, क्योंकि अपुष्ट जानकारियों के हिसाब से पता चला है कि साजिश के तहत अन्य राज्यों से न्यूज पोर्टल्स की उत्तराखंड मीडिया में घूसपैठ करवाई जा रही है। इसमें कई ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनका पत्रकारिता से सीधा कोई वास्ता नहीं है, अपितु समय आने पर इन्हें राजनीतिक पार्टियां अपने निजी स्वार्थों के हिसाब से उत्तराखंड में इस्तेमाल करेंगी।
9- महोदय, सबसे महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि भविष्य में न्यूज पोर्टल्स सूचीबद्धता की ई टेंडर या टेंडर प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जाये। इसकी जगह जल्द से जल्द नीति बनाकर न्यूज चैनल्स व अखबारों की भांति न्यूज पोर्टल्स को भी सूचीबद्ध किया जाये और विभाग द्वारा विज्ञापन की दरें तय की जायें। ऐसा करने से न्यूज पोर्टल्स की भेड़ चाल समाप्त हो सकती है।
10- महोदय, इस जून में सभी न्यूज पोर्टल्स को विज्ञापन जारी कर दिए जाएं। इसके साथ ही न्यूज पोर्टल्स सूचीबद्वता की प्रक्रिया के लिए भी नीति निर्धारण पर काम प्रारम्भ कर दिया जाए। नीति में उत्तराखंड में रहकर कार्य कर रहे स्थानीय न्यूज पोर्टल्स को ही विज्ञापन में प्राथमिकता दी जाये।
महानिदेशक सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग रणवीर सिंह चौहान ने सभी बिंदुओं का संज्ञान लेते हुए कहा है कि मुझे कुछ समय दें। बहुत जल्दी ही आपको इस सब पर साकारात्मक परिणाम दिखने को मिलेंगे। वे कभी नहीं चाहेंगे कि वे सूचना विभाग में सबसे कम विज्ञापन रेट देने वाले महानिदेशक के रूप में गिने जाएं।
बहरहाल महानिदेशक सूचना से हुई मुलाकात को सभी पत्रकारों ने बेहद साकारात्मक बताया व उनके द्वारा दिये गए आश्ववासन की प्रशंसा करते हुए कहा कि महानिदेेेेशक चौहान ने हमारा विश्वास बढ़ाया है और हम सभी को उम्मीद है कि सभी 345 न्यूज़ पोर्टल्स केे हक में जल्दी ही फैसला आएगा।
इस दौरान विचार एक नई सोच के सम्पादक राकेश बिजल्वाण, राज्य समीक्षा के सम्पादक शैलेश नौटियाल, हिंदी न्यूज़ के सम्पादक अजित काम्बोज इत्यादि बैठक में मौजूद रहे।

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