( ललित जोशी )
नैनीताल। उत्तराखण्ड में चारधाम यात्रा पर लगी रोक को नैनीताल हाईकोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने अपने 28 जून 2021 के निर्णय को वापस लेते हुए कोविड के नियमों का पालन करते हुए चारधाम यात्रा शुरू करने को कहा है। कोर्ट के यात्रा शुरू करने के आदेश से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है।
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सरकार को ओर से यात्रा पर लगी रोक हटाने को दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई, जिसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता समेत सरकार व अन्य पक्षकारों के अधिवक्ताओं से कई सवाल जवाब किए।
महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, मुख्य स्थाई अधिवक्ता सीएस रावत ने सरकार का पक्ष रखते हुए स्थानीय लोगों की आजीविका, कोविड नियंत्रण में होने, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, एसओपी का कड़ाई से पालन आदि के आधार पर रोक हटाने की मांग की। कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट का भी जिक्र किया।
महाधिवक्ता का कहना था कि चारधाम यात्रा का अर्निंग पीरियड है। वहीं, कोविड के मामले इस समय कम होने पर विपक्षियों ने भी यात्रा की अनुमति देने की गुजारिश की। इसके बाद कोर्ट ने कोविड के नियमों का पालन करते हुए चारधाम यात्रा शुरू करने का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। साथ ही हजारों यात्रा व्यवसायियों व तीर्थ पुरोहितों समेत उत्तरकाशी, चमोली व रुद्रप्रयाग जिले के निवासियों की आजीविका पटरी पर लौटने की उम्मीद जगी है।
मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने केदारनाथ धाम में 800 भक्त/ यात्री बद्रीनाथ धाम में 1200 गंगोत्री, में 600 और यमुनोत्री में कुल 400 यात्री जाने की अनुमति दी।
हाईकोर्ट ने हर भक्त या यात्री को कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट और वैक्सीन सर्टिफिकेट ले जाना अनिवार्य किया है। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चार धाम यात्रा के दौरान आवश्यकता अनुसार पुलिस फोर्स तैनात करने के भी निर्देश दिए है। भक्त या यात्रा के दौरान किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे।