( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। भारतीय जनता पार्टी के बयानबीर अब शायद यह भी भूल गए हैं कि अपने ही नेताओं को वानप्रस्थ भेजने में उनकी पार्टी अव्वल रही है।शीर्ष नेताओं लालकृष्ण आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी का उदाहरण सबके सामने है।उससे पहले भाजपा के थिंक टैंक माने जाने वाले और चाल,चरित्र और चेहरा का स्लोगन जारी करने वाले। गोविन्दाचार्य को समय से पहले ही वानप्रस्थ पर भेज दिया था।फायरब्रांड नेता जिस उमा भारती को कहा जाता था, वह भी इस चुनाव में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से दूर रखी गई।लगभग चार साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद त्रिवेन्द्र सिंह रावत को अप्रत्याशित रूप से पहले पद से रुख्सत कर दिया और फिर चुनाव नहीं लड़ाते हुए उन्हें प्रचार अभियान से भी दूर रख दिया।भाजपा का अपने नेताओं को सक्रिय राजनीति से जुदा कर वानप्रस्थ आश्रम में भेजने का यह तरोताजा उदाहरण है।सत्ता हाथ से जाना तय हो जाने पर भाजपा जनता से किए वायदों को पूरा नहीं कर पाने के लिए प्रायश्चित करने के बजाय बौखलाहट में कांग्रेस और उनके शीर्ष नेताओं पर अमर्यादित टिप्पणी कर हार की खीज उतारना चाहती है।
स्वयं को संस्कारित पार्टी होने का दंभ भरने वाली पार्टी और उसके नेता इतने बौखलाए हुए हैं कि महिलाओं के प्रति टिप्पणी करते हुए सारी मर्यादाएं भूल जाते हैं।प्रबुद्ध जनता उनके चाल, चरित्र और असली चेहरे से दो-चार हो चुकी है, इसलिए उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए अपना फैसला ईवीएम में बंद कर चुकी है।आश्चर्यजनक तो यह भी है कि जिन पर यमुनोत्री सीट पर भाजपा प्रत्याशी ने भीतरघात के आरोप लगाए हैं,वह अपना गिरेबान बचाने के लिए कांग्रेस नेताओं पर अनर्गल टिप्पणी कर पार्टी में कार्यवाही से बचने के लिए छवि चमकाने की कोशिश में लगे हैं।

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