( ज्ञान प्रकाश पाण्डेय )
हरिद्वार। ज्येष्ठ माह की शुरुआत हो चुकी है और इस माह आने वाले सभी त्योहारों का विशेष महत्व है। इस माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि बेहद शुभ रहने वाली है। इस दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। बता दें वट सावित्री का उपवास ज्येष्ठ मास की अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास करने से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है। यह उपवास पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। इस दौरान कुछ महिलाएं निर्जला व्रत भी रखती है और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि जयंती भी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार शनि देव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को हुआ था। इस दिन इनकी पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शनिदेव की कृपा पाने के लिए यह तिथि बेहद ही शुभ मानी जाती है। इस तिथि पर पूजा करने से व्यक्ति के रुके हुए कार्यों को गति मिलती है। ऐसे में आइए पूजा विधि के बारे में विस्तार से जान लेते हैं। हरिद्वार स्थित नारायणी शिला मंदिर के मुख्य सेवक और ज्योतिषाचार्य पंदिर मनोज त्रिपाठी से

कब है वट सावित्री व्रत और शनि जयंती ?
पंचांग के अनुसार इस वर्ष वट सावित्री व्रत 6 जून 2024 को रखा जाएगा। वहीं इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर होगा। वहीं इस साल 6 जून 2024 के दिन शनि जयंती मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूजा के साथ-साथ स्नान और दान करना लाभदायक होता है।
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

*इस दिन महिलाएं सुबह ही स्नान करके लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
*फिर सभी पूजन सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित कर लें और थाली सजा लें।
*इसके बाद वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा स्थापित करें।
*इस दौरान बरगद के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें।
*फिर आप पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना, गुड़ व मिठाई चढ़ाएं।
*बाद में वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करते हुए आप इसपर कच्चा सूत या कलावा लपेटें।
*फिर कथा सुने या पढ़ें ।
शनि जयंती पूजा विधि
शनिदेव की कृपा जिन जातकों पर होती है, उन्हे हमेशा शुभ परिणाम प्राप्त होते है। शनि की कृपा पाने के लिए शनि जयंती पर विधिनुसार उनकी पूजा करें। इस दौरान आप सुबह-सुबह शनि मंदिर जाकर भगवान शनिदेव की प्रतिमा को प्रणाम करें। इसके बाद सरसों के तेल से अभिषेक करें। इस दौरान शनि देव को काले तिल, उड़द की दाल,नीले फूल और नीले वस्त्र अर्पित करें। फिर तेल का दीपक जलाएं। पूजा करते हुए ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करते रहें। बाद में भगवान शनि देव की आरती करें।

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