( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। पिछले महीने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। पहलगाम का बदला लेने के लिए भारत द्वारा पाकिस्तानी क्षेत्र में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम देने। उसके बाद पाकिस्तान द्वारा जवाबी हमला करने की धमकी से परमाणु हथियार संपन्न दोनों पड़ोसियों के बीच युद्ध की आशंकाएं बढ़ गई हैं।
भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकवादी शिविरों पर किए गए हमले को अप्रैल में कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए नरसंहार का बदला बताया गया है। लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस हमले को ‘युद्ध की कार्रवाई’ बताया है। उन्होंने कहा है कि उनका देश इसका कड़ा जवाब देगा। भारत और पाकिस्तान ने पिछले कई सालों में काफी परमाणु हथियार जमा कर लिए हैं। लेकिन उनका उद्देश्य युद्ध रोकना है, युद्ध शुरू करना नहीं। हालांकि युद्ध की बढ़ती आशंकाओं के बीच कई पाकिस्तानी सैन्य और राजनीतिक हस्तियों ने खुले तौर पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दी है।
क्या है दोनों देशों की नीति
परमाणु हथियारों को लेकर भारत की नीति ‘पहले इस्तेमाल न करने’ की है। इसका मतलब है कि वह परमाणु हथियारों से तभी जवाबी कार्रवाई करेगा जब भारतीय सेना या भारतीय क्षेत्रों पर परमाणु हमला होगा। पाकिस्तान की नीति अपने बड़े, मजबूत और अमीर क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी से परमाणु खतरों और पारंपरिक सैन्य हमलों का मुकाबला करने के लिए सामरिक परमाणु हथियारों का उपयोग करना है। दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध हुआ तो परिणाम बहुत भयावह हो सकते हैं। अगर पाकिस्तान की ओर से पहल की गई तो भारत- पाकिस्तान ही नहीं आधी दुनिया इसकी चपेट में आ जाएगी।
किसके पास कितने हथियार
परमाणु क्षमता के मामले में दोनों देश लगभग एक जैसे हैं। अमेरिका स्थित थिंक टैंक आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन ने 2024 के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारत के पास करीब 172 परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास करीब 170 परमाणु हथियार हैं। कुछ विश्लेषणों से संकेत मिलता है कि पाकिस्तान के पास इससे अधिक लगभग 200 हथियार हो सकते हैं। माना जाता है कि पाकिस्तान अपने परमाणु शस्त्रागार को भारत पर आक्रमण या बड़े हमले से रोकने के लिए रखता है। मौजूदा हालात में पाकिस्तान को यह तय करना है कि वह भारत को और भड़काए बिना कैसे जवाबी कार्रवाई करता है। अब तक उसने जवाबी कार्रवाई में कई भारतीय विमानों को मार गिराने का दावा किया है।
कितने घातक होंगे नतीजे
एकबारगी अगर यह मान लिया जाए कि दोनों देशों के पास लगभग 250 परमाणु हथियार हैं। तो ऐसे हालात में शोधकर्ताओं ने भयावह परिणामों की चेतावनी दी है। हथियार की क्षमता के आधार पर पांच से साढ़े 12 करोड़ लोगों की तत्काल मृत्यु हो सकती है। भारत और पाकिस्तान के प्रमुख शहर पूरी तरह से नष्ट हो जाएंगे या रहने लायक नहीं रह जाएंगे। इन सभी जगहों पर बुनियादी ढांचे का पतन हो जाएगा। स्वास्थ्य सेवा परिवहन, ऊर्जा और वित्तीय क्षेत्र बर्बाद हो जाएंगे। लेकिन तबाही यहीं नहीं रुकेगी। धुएं और आग के तूफानों का प्रभाव समूची जलवायु पर पड़ेगा। यह केवल भारतीय उपमहाद्वीप नहीं बल्कि पूरे ग्रह को प्रभावित करेगा। जिससे संभावित रूप से अकाल पड़ सकता है जो अरबों लोगों को प्रभावित कर सकता है।
कैसे काम करता है ये हथियार
भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध की स्थिति में जिस जगह पर परमाणु हथियार दागा जाएगा, उस क्षेत्र में तेज चमक के साथ भयानक आग का गोला उठेगा। यह इतना भयानक होगा कि कई किलोमीटर तक सब कुछ जलकर खाक हो जाएगा। ये कितना नुकसान करेगा यह उस परमाणु बम की क्षमता पर भी निर्भर होगा। इसके विस्फोट से उठने वाली चमक इतनी तेज होगी कि लोग अंधे हो जाएंगे। आग का गोला काफी मात्रा में हवा को अपनी ओर खींच लेगा, जिससे दम घुटने से लोगों की मौत होने लगेगी। गर्म हवा सांस के जरिए जब अंदर जाएगी तो लोग अंदर से पूरी तरह से जल जाएंगे। यहां तक कि हड्डियां तक गल जाएंगी।
ओजोन लेयर पर भी पड़ेगा असर
परमाणु विस्फोट से निकलने वाले कार्बन से बादल पूरी तरह से काले हो जाएंगे और थोड़े ही समय में हमले वाले क्षेत्रों में फैलकर सूर्य की किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकेंगे। इन काले बादलों से होने वाली अम्लीय वर्षा से लाखों लोग एक साथ मर जाएंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक इन बादलों को हटने में सालों भी लग सकते हैं। परमाणु विस्फोट का सबसे बड़ा असर ओजोन लेयर पर देखने को मिलता है। कार्बन से बने बादल 70 फीसदी ओजोन परत को नष्ट कर सकते हैं। इसके बाद अंतरिक्ष से आनी वाली पराबैंगनी किरणों से मानवजाति और वनस्पति के अस्तित्व पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा. परमाणु युद्ध के बाद जिस तरह से देश को क्षति पहुंचेगी, उससे उभरना काफी मुश्किल भरा होगा। आर्थिक, सामाजिक ढांचा खड़ा करने में कई दशक लग जाएंगे।
दोनों देशों के बीच क्या है समझौता
दशकों की दुश्मनी और संदेह के बावजूद भारत और पाकिस्तान ने ‘गैर-परमाणु आक्रमण समझौता’ (Non-Nuclear Aggression Agreement) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता 31 दिसंबर 1988 को हुआ था और 27 जनवरी 1991 से लागू है। यह उन्हें एक-दूसरे की परमाणु संयंत्रों पर हमला करने से रोकता है। परमाणु प्रतिष्ठानों और संयंत्रों के खिलाफ हमले के निषेध के हिस्से के रूप में, दोनों पक्ष 1992 से हर जनवरी में अपने परमाणु संयंत्रों और प्रतिष्ठानों की सूचियों का आदान-प्रदान करते हैं। उन्होंने लगातार 34 सालों तक सूचियों का आदान-प्रदान किया है। हालाृंकि, दोनों में से किसी भी देश ने वैश्विक अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं जिसका उद्देश्य परमाणु हथियारों और हथियार प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना है।
9 देश जिनके पास परमाणु हथियार
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (एफएएस) के अनुसार, दुनिया भर में केवल नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं। उनके पास 2025 की शुरुआत तक अनुमानित 12,331 हथियार हैं।
इन देशों में शामिल हैं-
1 संयुक्त राज्य अमेरिका
2 रूस
3 यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन)
4 फ्रांस
5 चीन
6 उत्तर कोरिया
7 भारत
8 पाकिस्तान
9 इजरायल
एफएएस ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के पास विश्व के कुल परमाणु हथियारों का लगभग 88 प्रतिशत और सेना द्वारा उपयोग के लिए उपलब्ध 84 प्रतिशत हथियार हैं। एफएएस का कहना है कि अमेरिका अपने परमाणु भंडार को कम कर रहा है, जबकि फ्रांस और इजरायल के पास अपेक्षाकृत स्थिर भंडार है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि चीन, भारत, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान और यूनाइटेड किंगडम और संभवतः रूस भी अपने भंडार में वृद्धि कर रहे हैं।

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