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बड़ी खबर : उत्तराखण्ड में ऊर्जा निगम कर्मचारियों ने की हड़ताल स्थगित करने की घोषणा ,सरकार ने लगाया एस्मा। आखिर क्यों ? Tap कर जाने

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( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

देहरादून। उत्तराखण्ड में सोमवार रात 12 बजे से शुरू हुई बिजली कर्मचारियों की हड़ताल मंगलवार को ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत से वार्ता के बाद स्थगित करने की घोषणा की। वही कुछ जगहों पर बिजली आपूर्ति शुरू हो गई। लेकिन कुछ संगठनों के असहमति व्यक्त करने के बाद फिर से आपूर्ति बाधित हो गई। खबर लिखे जाने तक सभी संगठनों ने एकजुटता के साथ हड़ताल स्थगित नहीं की थी। उधर, सरकार ने दोपहर में ही अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) के तहत यूपीसीएल, यूजेवीएनएल और पिटकुल में हड़ताल पर प्रतिबंध लगा दिया। सचिव ऊर्जा सौजन्या ने इसका आदेश जारी किया।उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर 14 सूत्री मांगों को लेकर 3500 से ज्यादा बिजली कर्मचारियों ने सोमवार मध्य रात्रि से हड़ताल शुरू कर दी थी। रातभर तो जैसे-तैसे आपूर्ति हुई, लेकिन सुबह होते ही प्रदेशभर में बिजली आपूर्ति लड़खड़ाने लगी। देखते ही देखते राजधानी सहित प्रदेश के तमाम शहरों के कई हिस्सों में बिजली गुल हो गई। पहले एमडी स्तर पर बिजली कर्मचारियों की वार्ता चली, जो विफल हो गई।


इसके बाद करीब तीन घंटे तक ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत से वार्ता हुई। वार्ता के बाद ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उन्होंने सभी मांगों को पूरा करने के लिए एक माह का समय मांगा है। वार्ता के बाद मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक ने मीडिया के सामने हड़ताल स्थगित करने का एलान कर दिया, लेकिन इस पर कई संगठन असहमत होते हुए बाहर चले गए। इस असहमति के बवाल को थामने के लिए मोर्चा की दोबारा बैठक बुलाई गई। बैठक में कहा गया कि जब तक ऊर्जा मंत्री से बातचीत के मिनट्स लिखित में नहीं आएंगे, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। खबर लिखे जाने तक बिजली कर्मचारी काम पर नहीं लौटे थे। प्रदेश के अनेक शहरों के कई हिस्सों में अंधेरा छाया हुआ था।
कई इलाकों में बिजली गुल
हड़ताल के बाद उत्तरकाशी में मंगलवार सुबह मनेरी भाली एक और मनेरी पाली दो की टरबाइन थमी गई है। जिससे विद्युत उत्पादन ठप हो गया है। वहीं, उत्तरकाशी के कई इलाकों में बिजली गुल है। ऊर्जा निगम में सचिव ऊर्जा सौजन्या, एमडी दीपक रावत, पूर्व एमडी नीरज खैरवाल सहित कई अधिकारी मौजूद हैं। अधिकारी लगातार कर्मचारियों को समझाने में जुटे हैं। वहीं, देहरादून में भी कई फीडर से बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है। दून के सभी बिजलीघरों में ताले लटके हैं। अधिकारियों के मोबाइल बंद हैं। इतना ही नहीं हरिद्वार के बहादराबाद ,सिडकुल इलाको में यही हाल है। बिजली गुल है तो अधिकारियो के मोबाइल बंद है।  उधर, बिजली कटने की वजह से लोग भी परेशान हो रहे हैं। राजधानी देहरादून में भी 20 फीसदी इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप है। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के लगभग सभी पावर हाउस में बिजली उत्पादन रुक गया है। बता दें कि रात मलेरी भाली परियोजना ठप होने की वजह से सरकार ने करीब 250 मेगावाट बिजली एनटीपीसी से ली है। 
यह हैं ऊर्जाकर्मियों की मांगें
ऊर्जा निगम के कार्मिक पिछले 4 सालों से एसीपी की पुरानी व्यवस्था तथा उपनल के माध्यम से कार्य कार्योजित कार्मिकों के नियमितीकरण एवं समान कार्य हेतु समान वेतन को लेकर लगातार सरकार से वार्ता कर रहे हैं। 22 दिसंबर 2017 को कार्मिकों के संगठनों तथा सरकार के बीच द्विपक्षीय समझौता हुआ परंतु आज तक उस समझौते पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऊर्जा निगम के कार्मिक इस बात से क्षुब्ध हैं कि सातवें वेतन आयोग में उनकी पुरानी चली आ रही 9-5-5 की एसीपी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है, जो कि उन्हें उत्तर प्रदेश के समय से ही मिल रही थी। यही नहीं पे मैट्रिक्स में भी काफी छेड़खानी की गई। संविदा कार्मिकों को समान कार्य समान वेतन के विषय में कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके अतिरिक्त ऊर्जा निगमों में इंसेंटिव एलाउंसेस का रिवीजन नहीं हुआ।

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