( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। भारत से करारी शिकस्त खाने के बाद पाकिस्तान अब अपने आका चीन की शरण में जा पहुंचा है. विदेश मंत्री इशाक डार का तीन दिवसीय बीजिंग दौरा (19 मई से 21 मई) इसी हताशा और बेबसी का नतीजा है। इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक ऐसा कूट’नीति’ का चक्रव्यूह रचा है जिसे तोड़ना पाकिस्तान के बस की बात नहीं है। दरअसल भारत ने पहले पाकिस्तान को घुटने पर ला दिया। वहीं अब पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा को फेल करने के लिए ऑल पार्टी डेलिगेशन पूरी दुनिया में भेजेगा। ये डेलिगेशन बताएंगे कि कैसे पाकिस्तान ने पहलगाम नरसंहार के बाद झूठ का जाल बुना। पहलगाम में आतंकियों की कायराना हरकत और भारत के मुंहतोड़ जवाब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से बौखलाया पाकिस्तान अब चीन के दरबार में मदद की गुहार लगाने जा रहा है। कहने वाले कह रहे हैं कि ये दौरा सिर्फ बातचीत नहीं बल्कि भारत को घेरने की एक नई रणनीति है। सवाल यह है कि क्या चीन इस डूबते जहाज को बचा पाएगा? इस दौरे के असली मायने क्या हैं?
खबरों के मुताबिक इशाक डार चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात कर उन्हें भारत के साथ बढ़ते तनाव की पूरी कहानी सुनाएंगे। उनके साथ विदेश मंत्रालय के बड़े अधिकारी भी चीन जाएंगे। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर तो बात होगी ही। लेकिन मुख्य एजेंडा भारत-पाकिस्तान के बीच धधकती आग को चीन की मदद से शांत करना होगा. पाकिस्तान यह भी उम्मीद कर रहा होगा कि चीन अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत पर दबाव बनाए ताकि वह अपनी सैन्य कार्रवाई रोके।
चीन से समर्थन की मांग
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की ओर से पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की गई। इसके बाद पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ गया। डार का चीन दौरा पाकिस्तान की क्षेत्रीय संप्रभुता और स्थिति को मजबूत करने के लिए चीन से राजनयिक और सैन्य समर्थन हासिल करने की कोशिश है। इसके अलावा चीन पाकिस्तान का प्रमुख सहयोगी और हथियार आपूर्तिकर्ता है। डार का दौरा भारत के खिलाफ क्षेत्रीय तनाव में चीन की मध्यस्थता या समर्थन को सुनिश्चित करने के लिए है खासकर जब चीन ने ऑपरेशन सिंदूर को “खेदजनक” बताया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह बताया गया कि चीन ने पाकिस्तान को मिसाइलें और अन्य सैन्य सहायता प्रदान की। डार का दौरा इस सहायता को औपचारिक रूप देने और भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए हो सकता है।
CPEC और आर्थिक सहायता
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। डार का दौरा ऑपरेशन सिंदूर के बाद क्षेत्रीय अस्थिरता के बीच CPEC परियोजनाओं की सुरक्षा और निरंतरता पर चर्चा करने के लिए है। चीन ने भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की थी। डार का दौरा चीन की मध्यस्थता को मजबूत करने और युद्ध की स्थिति को टालने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
घावों पर मरहम या सियासी हथियार?
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई थी। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को सीमा पार आतंकी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर आतंकियों के नौ ठिकानों को धूल में मिला दिया। भारत ने साफ कहा कि ये कार्रवाई पाकिस्तान की सरजमीं से पल रहे आतंकवादियों के खिलाफ थी और भविष्य में भी ऐसे हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। अब पाकिस्तान इस कार्रवाई से तिलमिलाया हुआ है और चीन के कंधे पर बंदूक रखकर भारत पर दबाव बनाने की फिराक में है। देखना यह है कि चीन इस मौके का इस्तेमाल पाकिस्तान के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए करता है या फिर इसे भारत के खिलाफ एक और सियासी हथियार की तरह इस्तेमाल करता है।
चीन का ‘ऑल वेदर फ्रेंड’ दांव
चीन हमेशा से खुद को पाकिस्तान का ‘ऑल वेदर फ्रेंड’ बताता रहा है। जब भी पाकिस्तान मुश्किल में फंसा है चीन ने किसी न किसी तरह से उसका साथ दिया है। इस बार भी हालात कुछ वैसे ही हैं। भारत के सख्त तेवर और अंतरराष्ट्रीय मंच पर लगातार बढ़ रहे दबाव के बीच पाकिस्तान को चीन का सहारा ही नजर आ रहा है। इशाक डार का ये दौरा इसी दोस्ती को और मजबूत करने की कोशिश है। हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि चीन इस दोस्ती की कीमत पाकिस्तान से क्या वसूलता है।
आर्थिक बदहाली और चीन की मजबूरी
पाकिस्तान इस वक्त गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और चीन उसका सबसे बड़ा कर्जदाता है। ऐसे में पाकिस्तान के लिए चीन का साथ बेहद जरूरी है। दूसरी ओर चीन भी भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को लेकर चिंतित है और पाकिस्तान को अपने रणनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। इशाक डार के इस दौरे में आर्थिक मदद और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर भी बातचीत होने की संभावना है। हालांकि यह देखना होगा कि चीन पाकिस्तान को कितनी और किस तरह की मदद देता है खासकर तब जब पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घिरा हुआ है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डार के चीन दौरे पर एलिजाबेथ थ्रेलकेल्ड ने X पर एक पोस्ट किया है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा है, “ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत और पाकिस्तान के लिए एक नई वास्तविकता उभरी है।” यह दर्शाता है कि डार का चीन दौरा, क्षेत्रीय भू-राजनीति में बदलाव और पाकिस्तान की स्थिति को मजबूत करने की कोशिश का हिस्सा था।

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